इलेक्शन 2018 : राजनीति में महिलाओं की घटती मौजूदगी चिंताजनक, हर चुनाव गिरता ग्राफ

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एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और भारत के निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2018 में 5 राज्यों के चुनावों में चुने गए 678 विधायकों में से सिर्फ 62 महिलाएं हैं। वहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में महिलाओं का आंकड़ा 93 मिलियन का है। जिन राज्यों में मतदान हुआ है, वहां पिछले चुनावों में जहां 11% महिलाओं को वोट मिले तो इस बार केवल 9% महिलाएं ही मैदान में थी।

छत्तीसगढ़ केवल एक ऐसा राज्य हैं जहां महिला विधायकों के अनुपात में वृद्धि हुई है। मिजोरम की राज्य विधानसभा में इस बार भी कोई महिला प्रतिनिधित्व नहीं करेगी जबकि मिजोरम की आबादी में 49% हिस्सा महिलाओं का है।

अमरीका में पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की एक शोधकर्ता ऋतिका कुमार का कहना है कि “महिलाएं वोट देने के लिए काफी बड़ी संख्या में आगे आ रही है लेकिन लोकतंत्र में वास्तविक प्रतिनिधित्व करने के लिए महिला विधायकों और सांसदों को आगे आने की जरूरत है।” पंचायत और नगर पालिका लेवल के चुनावों में देखा गया है कि महिला न केवल चुनाव जीतने में सक्षम हैं बल्कि फिर से निर्वाचित होकर आने में भी समर्थ है।

वास्तव में, महिला प्रतिनिधियों को सार्वजनिक रूप से अब समान अधिकार करने की जरूरत है। कुमार ने आगे कहा, महिलाओं को भी उन मामलों में बोलने की ज़रूरत है जो उन्हें प्रभावित करते हैं, जैसे अर्थव्यवस्था और समाज, बड़े पैमाने पर। अब सभी बड़ी पार्टियों के लिए महिलाओं को आगे लाने और टिकट देने का समय है।

राज्यों ने इस बार कैसे मतदान किया

यद्यपि अधिकतर महिलाएं पिछले तीन चुनावों में पांच राज्यों से चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन वे अधिक संख्या में जीत नहीं पा रही हैं। असेंबली स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोतरी होने से मेल नहीं खाता है।

मध्यप्रदेश में इस बार सबसे अधिक महिला उम्मीदवारों को चुनाव में देखा गया जहां कुल 2,716 प्रतिभागियों में से 235 महिलाएं थी जहां 2013 में 108 महिलाएं और 2008 में 226 से अधिक थी। हालांकि, सफल महिला उम्मीदवारों की संख्या 22 जो कि सबसे कम रही।

राजस्थान में, 2,291 उम्मीदवारों में से 188 महिलाएं चुनाव में उतरी जो कि 2013 में 2,030 में से 152 से ज्यादा थी। 2008 में, 28 महिलाओं ने चुनाव जीता तो 2013 में यह संख्या 25 रही लेकिन इस साल यह 23 हो गई है। 2008 से 2018 तक के 10 सालों में, महिला उम्मीदवारों का अनुपात 14% से घटकर 11.5% हो गया है।

फिर भी, राजस्थान में जीतने वाली महिला प्रतिभागियों की संख्या ज्यादा रही। इसके अलावा छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पिछले 2 विधानसभा चुनावों के बाद सबसे अधिक महिलाओं ने जीत हासिल की है। इस बार 13 महिलाएं विधायक बनी हैं जो पिछले तीन चुनावों में महिला प्रतिनिधियों की सबसे ज्यादा संख्या होगी।

मिजोरम ने एक भी महिला ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया, हालांकि सालाना महिला उम्मीदवारों की संख्या बढ़ रही है।

पार्टी के अनुसार महिलाओं को कितनी तव्वजो

नेशनल इलेक्शन वॉच के अनुसार कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने 12% महिला उम्मीदवारों को इस बार चुना, बीजेपी ने 80 से अधिक जो कि सभी पार्टियों के बीच सबसे ज्यादा संख्या तो कांग्रेस ने 70 महिलाओं को मैदान में उतारा।

इसके अलावा 79 महिला उम्मीदवारों ने निर्दलीय नामांकन भरा तो बहुजन समाज पार्टी की 40 महिलाओं के अलावा 303 विभिन्न क्षेत्रीय दलों की महिलाओं ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा।

तेलंगाना में विजेता तेलंगाना राष्ट्र समिति ने महिला उम्मीदवारों के सबसे कम अनुपात में 3% पर टिकट दिए। एक महिला द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व किया गया बीएसपी, मायावती में 9% महिला उम्मीदवार थे।

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