बीकानेर भूमि घोटाले में ईडी ने की वाड्रा की संपत्ति कुर्क, क्या है ईडी

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ गलत तरीके से जमीन अपने नाम आवंटित कराने की जांच चल रही है। इसी जांच के सिलसिले में वाड्रा और मां मौरीन से जयपुर में इसी सप्ताह लंबी पूछताछ करने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

वाड्रा के खिलाफ जांच के अंतर्गत बीकानेर भूमि घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (एनफोर्समेंट डायरेक्ट्रेट) ने उनकी कंपनी की दिल्ली में तकरीबन 4.62 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क कर ली है।

प्रवर्तन निदेशालय अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी लिमिटेड की लगभग 18,59,500 रुपये की 4 चल संपत्तियां और दिल्ली के 268, सुखदेव विहार स्थित अचल संपत्ति को कुर्क कर लिया गया है।

बता दें कि जब राजस्थान में 2013 में बीजेपी सत्ता में आई तो रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जांच शुरू हुई। जांच में तहसीलदार ने बताया कि जमीनी की खरीद और बिक्री में गलत तरीके का इस्तेमाल हुआ है। साल 2014 में केस फाइल हुआ। बीकानेर के गजनेर थाने में 16 केस और कोलायत थाने में 2 केस। राजस्थान पुलिस की जांच को ईडी ने भी माना और संज्ञान लेते हुए साल 2015 में वाड्रा पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग ऐक्ट के तहत केस फाइल किया जिसमें उन लोगों पर केस बनता है जो काली कमाई को सफेद करने की कोशिश करते हैं।

ईडी का दावा है कि केंद्र सरकार ने महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के निर्माण के लिए 34 गांवों की जमीन अधिग्रहित किया था। राज्य सरकार की तरफ से इन गांवों के ग्रामीणों को बदले में दूसरी जगह जमीन आवंटित की गई थी। इसी आवंटन में तकरीबन 1422 बीघा जमीन फर्जी नामों पर आवंटित कराकर 1372 बीघा जमीन विभिन्न कंपनियों को ऊंचे दाम पर बेच दी गई थी।

क्या है प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) की स्थापना 1 मई, 1956 को की गई थी। जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा, 1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक ‘प्रवर्तन इकाई’ गठित की गई थी।
यह राजस्व विभाग, वित्त विभाग, वित्त मंत्रालय के अधीन एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है।
प्रवर्तन निदेशक प्रवर्तन निदेशालय का प्रमुख होता है। इस पद पर वर्तमान में संजय कुमार मिश्रा है जिन्हें केन्द्र सरकार ने 17 नवंबर, 2018 को नियुक्त किया।

इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

इसके मुख्यालय में दो विशेष निदेशक और मुंबई में एक विशेष निदेशक हैं।

निदेशालय में 10 जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक उप निदेशक तथा 11 उप जोनल अधिकारी हैं जिनमें से प्रत्येक का अध्यक्ष एक सहायक निदेशक है।

जोनल कार्यालय- मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, चंडीगढ़, लखनऊ, कोच्चि, अहमदाबाद, बंगलौर तथा हैदराबाद।

उप जोनल कार्यालय- जयपुर, जालंधर, श्रीनगर, वाराणसी, गुवाहाटी, कालीकट, इंदौर, नागपुर, पटना, भुवनेश्वर तथा मदुरै।

कार्य: –

फेमा, 1999 के उल्लंघन से संबंधित सूचना को इकट्ठा करना, विकसित करना तथा प्रचारित करना। आसूचना निवेश विभिन्न स्रोतों जैसे कि केंद्रीय और राज्य आसूचना अभिकरणों, शिकायतों आदि से प्राप्त हुए हैं।
‘हवाला’ फॉरेन एक्सचेंज रैकेटियरिंग, निर्यात प्रक्रियाओं का पूरा न होना, विदेशी विनिमय का गैर प्रत्यावर्तन तथा फेमा, 1999 के तहत उल्लंघन के अन्य रूपों जैसे फेमा के संदिग्ध उल्लंघन के प्रावधानों की जांच करना।
पूर्ववर्ती फेरा, 1973 और फेमा, 1999 के उल्लंघन के मामलों पर निर्णयन।
पीएमएलए PMLA – Prevention of Money Laundering Act, 2002 ) में जांच की प्रक्रिया अन्य अपराधिक कानूनों की तरह ही की जाती है। जांच के दौरान या उपरान्त यदि यह पाया जाता है कि संबंधित व्यंक्ति/ इकाई ने जो संपत्ति एकत्र की है या बनाई है, वह पीएमएलए-PMLA में अधिसूचित 28 कानूनों की 156 धाराओं में दण्डित अपराधों के फलस्वरूप अर्जित की गयी है व तत्पश्चात उसका शोधन किया जा चुका है, उस स्थिति में ऐसी संपत्ति को अंतरिम रूप में जब्त किया जा सकता है, और अन्त में उचित अपराधिक न्यायिक प्रक्रिया (मुकदमा) पूर्ण होने पर ऐसी संपत्ति को कुर्क भी किया जाता है।

न्यायनिर्णयन कार्रवाई के निष्कर्ष पर लगाए गए दंडों को वसूल करना।

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