जैसे ही ऑस्कर अवॉर्ड का नाम आता है तो हॉलीवुड के सितारों की ओर ध्यान जाता है और जाना भी जरूरी है क्योंकि अब तक कुछ भारतीय फिल्में ही इस अवॉर्ड में अपनी उपस्थित दर्ज करवा पाई हैं। इन दिनों भारतीय डॉक्युमेंट्री ‘पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस’ की सब जगह चर्चा हो रही है क्योंकि इसे डॉक्युमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट की लिस्ट में शामिल किया गया है। जाहिर है यह सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। टॉप फाइव डॉक्युमेंट्री की लिस्ट में शामिल इस फिल्म के अलावा अन्य 4 फिल्मों की बात करें तो इसमें ‘ब्लैक शीप’, ‘एंड गेम’, ‘लाइफबोट’ और ‘अ नाइट एट द गार्डन’ शामिल हैं।
इस डॉक्युमेंट्री का निर्माण गुनीत मोंगा ने किया है। यह ग्रामीण परिवेश में महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर ग्रामीण लोगों की सोच पर प्रहार करती है। यह वास्तविक जीवन के ‘पैडमैन’ अरुणाचलम मुरुगनाथन के काम पर प्रकाश डालती है। जिन्होंने महिलाओं के लिए सस्ते पैड्स को बनाया और उसे इस्तेमाल करने पर जोर दिया। पुरस्कार विजेता ईरानी मूल के अमेरिकी फिल्मकार रायका जेहताबची द्वारा निर्देशित इस फिल्म को ‘द पैड प्रोजेक्ट’ नाम की संस्था ने स्पॉन्सर किया है। 26 मिनट की इस डॉक्युमेंट्री में उत्तर भारत की लड़कियों-महिलाओं तथा उनके गांव में लगाई गई एक पैड मशीन के साथ उनके अनुभवों को चित्रित किया गया। फिल्म में अरुणाचलम मुरुगनाथन ने काम किया है।
ऐसा रहा ऑस्कर अवार्ड में अब तक भारतीय फिल्मों का सफर
55वें ऑस्कर में मिला भारत को पहला अवार्ड
— भारत को पहला ऑस्कर भानु अथैय्या ने दिलाया। उन्हें फिल्म ‘गांधी’ ( 1983) के लिए ‘बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन’ श्रेणी में ऑस्कर दिया गया। इसी के साथ भानु ऐसी पहली भारतीय बनीं, जिन्होंने ऑस्कर जीता।
— बढ़ती भारतीय सिनेमा की लोकप्रियता के चलते 1992 में ऑस्कर संचालकों ने खुद ही भारतीय फिल्मकार ‘सत्यजीत रे’ को बुलाकर मानद ऑस्कर अवार्ड (ऑनररी अवार्ड, लाइफटाइम अवार्ड के समकक्ष) दिया।
— ऑस्कर अवार्ड में साल 2009 भारतीयों के लिए काफी लक्की रहा। तीन भारतीयों ने ऑस्कर में भारत की पताका लहराई। फिल्म थी, ‘स्लम डॉग मिलेनियर’। इसके लिए रसूल पूकुट्टी को ‘बेस्ट साउंड मिक्सिंग’, ए.आर. रहमान को ‘बेस्ट ओरिजनल स्कोर’ और गुलजार व ए.आर. रहमान को संयुक्त रूप से ‘बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग’ की श्रेणी में ऑस्कर अवार्ड दिए गए।
ऑस्कर के लिए नामांकित पहली भारतीय फिल्म
‘मदर इंडिया’ को ‘ बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ के लिए 1958 में नामांकित किया गया था। हालांकि यह फिल्म अवॉर्ड तो नहीं जीत पाई लेकिन इसने काफी तारीफें बटोरीं। इस फिल्म का निर्देशन महबूब खान ने किया था।
बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म श्रेणी के लिए भेजी भारतीय फिल्में
भारत ने अब तक बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म श्रेणी के लिए कई फिल्में भेजी हैं जिनमें प्रमुख अपुर संसार (1959), गाइड (1965), सारांश (1984), नायकन (1987), परिंदा (1989), अंजलि (1990), हे राम (2000), देवदास (2002), हरिचन्द्रा फैक्ट्री (2008), बर्फी (2012), ज्ञान कोरिया (2013) और कोर्ट (2015) शामिल हैं।
— भारत की ओर से सिर्फ तीन फिल्में ही फाइनल लिस्ट तक पहुंचने में कामयाब रही हैं जिनमें महबूब खान की ‘मदर इंडिया’ (1957), मीरा नायर की ‘सलाम बॉम्बे’ (1988) और आशुतोष गोवारीकर की ‘लगान’ (2001) शामिल है।
‘लगान’ ने दी थी कड़ी टक्कर
ऑस्कर में भारत की सबसे प्रबल दावेदारी साल 2002 में हुई, जब आशुतोष गोवारीकर की फिल्म ‘लगान’ को चुना गया। जानकारी के मुताबिक ‘बेस्ट फॉरेन लेंग्वेज फिल्म’ की श्रेणी में यह फिल्म जीतते-जीतते रह गई।