कहीं पोंगल तो कहीं उत्तरायन, अलग-अलग राज्यों में इन रीति-रिवाजों से मनायी जाती है मकर संक्रान्ति

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विविधताओं में एकता वाला देश भारत विभिन्न संस्कृतियों, धर्म और भाषा के लोगों से सरोबार है। यहां पूरे साल किसी ना किसी त्योहार को लेकर खुशियां फैली रहती हैं। चाहे दिवाली हो, ईद या फिर क्रिसमस, हर मौके पर लोग सारे भेदभाव भूलकर उत्साह के साथ उस त्यौहार का मज़ा लेते हैं। मकर संक्रांति भी ऐसा ही एक त्यौहार है, जो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। खास बात यह है कि देश के अलग-अलग राज्यों में इस दिन को अलग-अलग त्योहारों की तरह मनाया जाता है।

यहां हम आपको बता रहे हैं देश के कुछ खास हिस्सों के बारे में जहां 14 जनवरी का दिन भिन्न—भिन्न त्योहारों के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है।

गुजरात में उत्तरायन :

kite festival gujrat

गुजरात में मकर संक्रान्ति का यह त्यौहार उत्तरायन के रूप में मनाया जाता है। उत्तरायन का मतलब होता है, उत्तर से उदय। दरअसल इस दिन सूरज पूर्व की जगह उत्तर दिशा से उदय होता है, इसलिए इसे उत्तरायन भी कहा जाता है। यहां पर भी राजस्थान की ही तरह सबसे ज्यादा मशहूर है पतंगें उड़ाना। इसके अलावा लोग दिन भर दान पुण्य के साथ घर में बने लाजवाब पकवानों और मिठाइयों का भी खूब मज़ा लेते हैं।

पंजाब में लोहड़ी :

lohdi in punjab

पंजाब में लोहड़ी के त्यौहार के रूप में इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है। यह त्योहार रबी की फसल के पैदा होने के अवसर पर मनाया जाता है। लोहड़ी मूल शब्द लोह से बना है जिसका अर्थ होता है लाइट, प्रकाश। यही कारण है कि इस त्योहार पर लड़कियां जलाकर उसके चारों तरफ घूम कर डांस करने का रिवाज है।

तमिलनाडु में पोंगल :

tamilnadu pongal

तमिलनाडु में इस दिन पोंगल त्यौहार मनाया जाता है। यह चार दिनों का त्योहार होता है, जिसमें सूर्य और धरती की पूजा की जाती है। इसका दूसरा दिन थाई पोंगल की तरह मनाया जाता है। इस दिन एक ग्राउंड के बीच में एक स्क्वायर पिच बनाई जाती है जहां पर सूरज की किरणें सीधी आती हों। वहां जलती हुई लकड़ियों पर एक बर्तन रखा जाता है जिसपर मीठा पोंगल बनाया जाता है। परंपरा ये है कि पोंगल बनने के बाद बर्तन से ओवरफ्लो होना चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा होने पर घर परिवार में सुख समृद्धि खूब आए।

असम में बिहू

bhogali-bihu

असम का प्रमुख त्योहार बिहू है। इसे भोगली और मघ बिहू भी कहा जाता है। यह त्योहार लगभग एक सप्ताह तक मनाया जाता है। इस दौरान बच्चे और बड़े मिलकर लकड़ियों के छोटे-छोटे घर बनाते हैं जिसे मेजू और भेलाघर कहा जाता है। इन घरों में परिवार के सभी लोग इकट्ठे होते हैं और खुशियां मनाते हैं। दिलचस्प बात ये है कि अगले दिन सभी मिलकर इस घर को जला देते हैं। साथ ही इस त्यौहार में चावल और मीठे लारु (नारियल की बनी मिठाई) का केक बनाने की भी प्रथा है, जिसे काटकर बिहू के त्यौहार को सेलिब्रेट किया जाता है।

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