कई देशों के प्रयासों के बाद भी नहीं लग पाया धूम्रपान पर प्रतिबंध, जानिए पूरा इतिहास

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‘धूम्रपान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ ये लाइन आपने अपने जीवन में कई बार सुनी होगी। मगर सच तो ये है कि तमाम कोशिशों के बावजूद भी धूम्रपान के घातक प्रभावों से लोग जागरूक नहीं हो पा रहे हैं। इससे बचने के लिए साल 2005 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए फ़िल्मी पर्दे पर धूम्रपान के दृश्य दिखाने पर रोक लगा दी थी। मगर उनके इस फैसले का तमाम फिल्म जगत ने विरोध किया था। इंडस्ट्री के लोगों का कहना था कि यह फैसला कलात्मक अभिव्यक्ति में रुकावट पैदा करता है।

फ़िल्म निर्माता महेश भट्ट ने केंद्र सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिसके बाद फ़िल्मों में धूम्रपान के दृश्य दिखाने पर रोक लगाने के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट ने आज ही के दिन यानी 23 जनवरी 2009 को ख़ारिज कर दिया था। पचास पृष्ठों के अपने फ़ैसले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा था, “सिनेमा में असली ज़िंदगी की तस्वीर दिखाई पड़नी चाहिए। धूम्रपान जीवन की असलियत है। यह अपेक्षित नहीं है लेकिन यह असलियत जीवन में मौजूद है और इस पर किसी क़ानून के तहत रोक नहीं है।”

tobacco scene ban in films

वैसे ये किस्सा तो फिल्मों से जुड़ा था, मगर हकीकत की ओर अगर नज़र डालें तो धूम्रपान और तंबाकू की वजह से हर साल लाखों मौतें होती हैं। इससे बचने के लिए साल 2008 में धूम्रपान निषेध कानून लागू किया गया था। यह कानून कितना असरदार रहा यह तो हम अपने आसपास रोजाना देख ही सकते हैं। सार्वजनिक स्थलों पर रोक के बावजूद धुएं के छल्ले बनाने वालों की कमी नहीं है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही धूम्रपान पर रोक लगाने वाले कानून बेअसर हैं। दुनियाभर में ऐसे कई प्रयास हुए लेकिन कहीं भी तंबाकू पर स्थायी रोक नहीं लग पाई।

आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ देशों और उनके किस्सों के बारे में जहां तंबाकू निषेध करने के सभी प्रयास असफल रहे :

— सबसे पहले 1575 में मैक्सिको की चर्च संबंधी परिषद ने मैक्सिको के चर्च और कैरेबियन की स्पेनिश कॉलोनी में तंबाकू के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि ये अलग बात है कि यह आदेश पादरी को भी चर्च परिसर में धूम्रपान करने से नहीं रोक पाया।

— 1590 में पोप अर्बन सप्तम ने उन सभी लोगों को चर्च से बहिष्कृत करने की धमकी दी थी, जो रोमन कैथोलिक चर्च के भीतर तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन करते थे। मगर उनका कार्यकाल महज 13 दिन का रहा। जिसके बाद उनके उत्तराधिकारी ग्रेगरी चौदहवें ने तंबाकू को प्रतिबंधित करने का कोई जिक्र तक नहीं किया।

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— 1624 में पोप अर्बन अष्ठम ने भी तंबाकू पर वैश्विक प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर, इसका सेवन करने वालों को बहिष्कृत करने की चेतावनी दी थी। मगर एक शताब्दी बाद पोप बेनेडिक्ट अष्टम ने तमाम प्रतिबंध हटा दिए। इसके बाद 1779 में वेटिकन में पहली तंबाकू फैक्टरी खोली गई।

— 1633 में ऑटोमन शासक मुराद चतुर्थ ने अपने साम्राज्य में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया था। सख्ती का आलम ये था कि इस कानून को तोड़ने पर एक ही दिन में 18 लोगों को मृम्युदंड दिया गया था। मगर फिर मुराद के उत्तराधिकारी इब्राहिम ने 1647 में ये प्रतिबंध हटा दिया। इब्राहिम के शासनकाल में तंबाकू विलासिता की वस्तु बनकर उभरी।

— 1634 में रूस के जार माइकल फ्योडोरोविच ने तंबाकू प्रतिबंधित कर दिया था। उन्होंने तंबाकू का सेवन करने वालों को शारीरिक यातना, कोड़ों की मार, नाक काटने और सर्बिया भेजने की चेतावनी भी दी। उनके उत्तराधिकारी मिखाइलोविच ने तंबाकू का सेवन करने वालों को तब तक प्रताड़ित करने का आदेश दिया था जब तक वह तंबाकू की आपूर्ति करने वाले का नाम न बता दें। मगर 1676 में यह प्रतिबंध हटा लिया गया।

— 1638 में चीन के मिंग शासक ने तंबाकू की तस्करी करने वाले का सिर कलम करने की घोषणा की थी। उनका आदेश तो अप्रभावी रहा ही और साथ ही कोर्ट के अंदर भी धूम्रपान बढ़ता गया।

— 1640 में आधुनिक भूटान के संस्थापक योद्धा सन्यासी शब्दरंग नवांग नामग्याल ने सरकारी इमारतों में धूम्रपान पर पाबंदी लगा दी थी।

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— 1891 में ईरान के धार्मिक नेता हाजी मिर्जा हसन शिराजी ने फतवा जारी कर शियाओं को तंबाकू का व्यापार करने से रोक दिया था। मगर 1892 में जब ईरान ने इंग्लैंड से व्यापारिक संबंध तोड़ दिए तब लोगों ने धूम्रपान फिर शुरू कर दिया।

— 1895 में अमेरिका के नॉर्थ डकोता ने सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। वहीं 1907 में वाशिंगटन ने भी कानून बनाकर सिगरेट के उत्पादन, विक्रय पर रोक लगा दी।

— 1942 में जर्मनी का तानाशाह नाजी शासक हिटलर धूम्रपान का बड़ा विरोधी बनकर उभरा। उसने कई सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान प्रतिबंधित कर दिया और तंबाकू उत्पादों पर भारी कर लगा दिए, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद तंबाकू विरोधी अभियान महत्वहीन होते गए।

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