शुरुआत में लकड़ी के डंडों को स्टिक बनाकर हॉकी खेला करते थे धनराज पिल्लै

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Dhanraj-Pillay-Biography

इतिहास में 16 जुलाई का दिन भारत के लिए बहुत ही गौरवशाली है। क्योंकि भारतीय हॉकी टीम के ​पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी धनराज पिल्लै का जन्म 16 जुलाई, 1968 को महाराष्ट्र के पुणे जिले स्थित खडकी कस्बे में हुआ था। उनके पिता नागालिंगम पिल्लै ग्राउंड्समैन थे और मां अंदल अम्मा पिल्लै गृ​हणी थी। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। धनराज के पिता का परिवार काफी बड़ा था, ऐसे में सबका पालन-पोषण करना बेहद बड़ी चुनौती थी। लेकिन उनकी मां ने हमेशा उन्हें खेल के लिए प्रोत्साहित किया। धनराज के पांच भाई थे और उनकी मां पांचों भाइयों को खेल के लिए हमेशा प्रोत्साहित करती थीं। दिग्गज हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै के 55वें जन्मदिन पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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‘हॉकी का कपिल देव’ पिल्लै के मोहम्मद शाहिद थे आदर्श

दिग्गज हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै को भारतीय हॉकी का कपिल देव माना जाता है। बेहद गरीबी में बचपन गुजारने वाले धनराज ने शुरुआत में लकड़ी के डंडों को स्टिक बनाकर हॉकी खेलना शुरु किया था। बाद में टूटी हॉकी स्टिक और फेंकी हुई बॉल से हॉकी खेलना सीखा और आगे चलकर वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने। धनराज हमेशा से ही हॉकी के महान फॉरवर्ड खिलाड़ी मोहम्मद शाहिद की तरह खेलने की कोशिश करते थे। इसके पीछे का कारण यह था कि वह मोहम्मद शाहिद को अपना आदर्श मानते हैं। उनके लिए हॉकी विशेषज्ञ कहते हैं कि धनराज पिल्लै उस खिलाड़ी का नाम है, जो इस खेल के लिए जिया है।

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धनराज की कप्तानी में भारतीय हॉकी ने ऊंचाइयों को छूआ

शुरुआत में लगातार 6 ओलिम्पिक गोल्ड जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का एक समय ऐसा दौर भी आया जब उसकी चमक फीकी होती जा रही थी। यह चमक वापस दिलाई धनराज पिल्लै की कप्तानी ने। उनके नेतृत्व में भारतीय हॉकी टीम नई ऊचाइंयों पर पहुंची। धनराज का अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर दिसंबर 1989 से शुरु होकर अगस्त 2004 तक रहा और इस बीच उन्होंने 339 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेले। चूंकि भारतीय हॉकी संघ किसी भी खिलाड़ी द्वारा किए गए गोलों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखता है, ऐसे में हॉकी विशेषज्ञ मानते हैं कि धनराज के गोलों की संख्या 120 से 170 से बीच है।

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4 ओलंपिक, चैंपियंस ट्रॉफी व एशियन गेम्स खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी

भारतीय हॉकी के जूनियर जादूगर धनराज पिल्लै एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिसने चार ओलंपिक टूर्नामेंट (वर्ष 1992, 1996, 2000 और 2004), चार विश्व कप (1990, 1994, 1998 और 2002), चार चैंपियंस ट्रॉफी (1995, 1996, 2002 और 2003) और चार एशियाई खेल (1990, 1994, 1998 और 2002) में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। भारत हॉकी टीम ने धनराज की कप्तानी में एशियाई खेल (1998) और एशिया कप (2003) में जीत दर्ज की थी।

बैंकाक एशियाई खेलों में सबसे अधिक गोल किए

धनराज ने बैंकाक एशियाई खेलों में सबसे अधिक गोल किए थे और सिडनी में वर्ष 1994 के विश्व कप के दौरान वर्ल्ड इलेवन में जगह बनाने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे। इस समय वह भारतीय हॉकी टीम के प्रबंधक हैं। इसके साथ ही, वे कंवर पाल सिंह गिल के निलंबन के बाद निर्मित भारतीय हॉकी फेडरेशन की अनौपचारिक (एडहॉक) समिति के सदस्य भी हैं। धनराज पिल्लै को वर्ष 1999-2000 में खेल रत्न और वर्ष 2001 में ‘पद्मश्री’ अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।

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धनराज का खुजली डांस बड़ा फेमस रहा

भारतीय पुरूष हॉकी टीम के कोच हरेन्द्र सिंह के मुताबिक़, अगर आप धनराज के आसपास हैं, तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई बोरिंग लम्हा आ जाए। उन्हें समझ आ जाता है, अगर टीम में कोई तनाव में है। उनका एक खास डांसिंग स्टाइल है। जब तनाव होता है, वो डांस शुरू कर देते हैं। वो डांस ऐसा है, जैसे शरीर में खुजली हो रही हो। उसके बाद ऊपर से पानी बरस रहा हो। हम अक्सर ड्रेसिंग रूम में या कई बार बाहर भी वो डांस करते हैं।

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धनराज पिल्लै की देशभक्ति के बारे में कोच हरेन्द्र ने एक बार बताया कि बुसान एशियाड याद आता है। पाकिस्तान से मैच था। पाकिस्तान ने पहला गोल किया। उसके बाद भारत ने यह मैच जीता था। मैच जीतते ही धनराज कूदकर स्टैंड में चले गए। वहां किसी भारतीय दर्शक से झंडा लिया और दौड़कर पाकिस्तान टीम की बेंच के सामने कूद गए। ठीक बेंच के सामने जाकर उन्होंने भारतीय तिरंगा झंडा लहराया। दरअसल, धनराज पिल्लै को हार से नफ़रत है। वह पाकिस्तान से तो किसी हालत में हारना नहीं चाहते थे।

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