राजस्थान अपने तरह-तरह के रंगों के लिए जाना जाता है। फिलहाल विधानसभा चुनावों की हलचल तेज है ऐसे में जोधपुरी टर्बन्स या साफे की मांग आसमान छू रही है। साफे को प्रतिष्ठा, सम्मान और बहादुरी का प्रतीक माना जाता है, विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता, नेता और पार्टियों से जुड़े अन्य लोग इन टर्बन्स की भारी डिमांड कर रहे हैं।
नेता अभियान के दौरान साफा पहनते हैं, वहीं राज्य में चुनावी वातावरण में चमक और रंग डालने के लिए साफे का काफी अहम रोल है। साफा को विभिन्न राजनीतिक नेताओं द्वारा किए गए अभियानों में उनके स्टाइल कोटेन्टेंट को बढ़ाने के लिए भी काफी पसंद किया जा रहा है।
राजस्थान के जोधपुर में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं। जोधपुर का साफा और इसे पहनने की शैली बिलकुल अलग है। राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं के कार्यकर्ता यहां पर साफा लेते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। जोधपुरी साफा को प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है।
जोधपुर में इन दिनों साफा व्यापारियों को सांस लेने की भी फुरसत नहीं है। साफा व्यापारियों का कहना है कि बीजेपी कार्यकर्ता आम तौर पर केसरिया और हरे रंग के साफे पहनना पसंद करते हैं जबकि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सफेद और हरे रंग के साफे को काफी पसंद करते हैं। वहीं राजस्थान में बसपा के नेता परंपरागत रूप से नीले रंग को ही पसंद करते हैं।
इसके अलावा जोधपुर और आसपास के इलाकों में कम से कम 700-800 जोधपुरी साफों की रोज डिमांड रहती है। एक बार चुनाव की तारीख घोषित हो जाने के बाद, यहां के व्यापारी मांग के अनुसार स्टॉक को तैयारी करके रखते हैं।
अब जोधपुरी साफों से जनता पर कितना जादू चलता है यह तो चुनावों के बाद जनता ही बताएगी। गौरतलब है कि राजस्थान में विधानसभा चुनावों के लिए वोट 7 दिसंबर को डाले जाएंगे और 11 दिसंबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा।