आम चुनाव के परिणाम करीब आते देख अरविंद केजरीवाल ने संकेत दिया कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी हार सकती है। मुख्यमंत्री ने 18 मई को दावा किया कि शहर के मुस्लिम वोट जो उनकी पार्टी को मिलने वाले थे आखिरी वक्त में कांग्रेस की ओर चले गए।
केजरीवाल का कहना है कि मतदान से 48 घंटे पहले तक ऐसा लगता था कि सभी सात सीटें AAP के पास आएंगी। लेकिन आखिरी समय में सारे मुस्लिम वोट कांग्रेस में स्थानांतरित हो गए। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर क्या हुआ। लोकसभा चुनावों की बात करें तो आम आदमी पार्टी की इस बात के क्या मायने हैं?
दिल्ली के देशबंधु कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर बिस्वजीत मोहंती ने कहा कि यह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में परेशानी का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक सच्चाई है कि दिल्ली में कांग्रेस को मुस्लिम वोट मिल रहे हैं। अगर कांग्रेस अब अच्छा करती है, तो वे उत्साहित होंगे।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज के प्रवीण राय ने तर्क दिया कि लगता है 23 मई को परिणाम घोषित होने पर आम आदमी पार्टी कोई भी सीट नहीं जीतेगी। मतदाताओं की एक महत्वपूर्ण संख्या कांग्रेस में स्थानांतरित हो गई है और AAP का समर्थन पंद्रह प्रतिशत से कम हो सकता है।
नतीजों के बाद AAP ईवीएम, कांग्रेस पार्टी और मुसलमानों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराएगी। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का जिक्र करते हुए राय ने कहा कि किसी धार्मिक समुदाय को दोष देना पूरी तरह से अनुचित और बेतुका है। AAP अपने समर्थन आधार को मजबूत करने में विफल रही।
दिल्ली की आबादी में लगभग तैरह प्रतिशत मुस्लिम हैं और उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में AAP का समर्थन किया जिसमें पार्टी ने 54.3 प्रतिशत वोट हासिल किए। 70 में से 67 सीटें आप के हाथ में थीं। 2014 के संसदीय चुनाव के समर्थन में भारी उछाल देखा गया जहां AAP ने कुल वोट का 32.9 प्रतिशत जीता था। 2017 में हुए नगर निगम के चुनावों में हालांकि, पार्टी का वोट शेयर लगभग 26% तक गिर गया और इसे कांग्रेस के साथ ला दिया जो विधानसभा चुनाव में एक भी सीट लेने में विफल रही थी।
राय ने कहा कि भाजपा के विरोध में दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस को प्रबल दावेदार समझा और AAP के बजाय कांग्रेस को वोट पड़े। वोटों के इस विभाजन में बीजेपी ने भी मदद कर ही दी।
वास्तव में, अधिकांश एग्जिट पोल का अनुमान है कि भाजपा दिल्ली की सभी सात सीटों को बरकरार रखेगी इसके अलावा कुछ कांग्रेस या AAP को सिर्फ एक सीट आ सकती है।
अगर केजरीवाल की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाती है तो भविष्य में इसकी संभावनाओं को बहुत नुकसान होगा। इस तरह के परिणाम का AAP पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
मोहंती का कहना है कि भाजपा-विरोधी हिंदू वोट AAP के बजाय निश्चित रूप से कांग्रेस को जाएंगे। AAP निम्न वर्ग और निम्न जाति के वोटों को अपनी ओर बनाए रखेगा, लेकिन बाद में समर्थन बहुत कम हो सकता है अगर कांग्रेस इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है।