राजस्थान के जोधपुर जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक तरफ देश की अदालतें लचर कानूनी प्रक्रिया को लेकर हर दूसरे दिन किसी के निशाने पर रहती है वहीं राजस्थान हाईकोर्ट ने एक ऐसे विवाद पर फैसला दिया है जिसमें गाय के मालिकाना हक को लेकर पिछले करीब 1 साल से मजिस्ट्रेट और वकील सर खपा रहे हैं।
मामला क्या है ?
जोधपुर के नयाबास में श्यामसिंह परिहार रहते हैं जो पेशे से टीचर हैं। उनकी गाय करीब एक साल पहले घर से गायब हो गई। बीते 31 जुलाई 2018 को जब वह स्कूल से घर आ रहे थे तब उनकी नजर अचानक अपनी गाय पर पड़ी।
वो गाय को लेकर अपने घर आ गए और आंगन में बांध दिया। तीन दिन गुजरे कि पड़ोस में रहने वाले ओमप्रकाश बिश्नोई जो पुलिस में कॉन्स्टेबल है वो आया और कहने लगा कि आप मेरी गाय क्यों लाए ?
अब यहां मामला थोड़ा फिल्मी और पेचीदा हो गया। टीचर और कॉन्स्टेबल आपस में भिड़ गए, मार-पिटाई होने लगी। दोनों परिवारों के बीच पुलिस आ गई। केस दर्ज हुआ और मामला कोर्ट चला गया।
कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई, जज ने गाय को गोशाला भेजा जहां निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। इस मामजे पर कोर्ट में पहली सुनवाई बीते 12 अप्रैल को हुई और गाय को कोर्ट में पेश किया गया। गाय कोर्ट लाई गई जहां जज ने उसकी जांच की और सुनवाइयों का एक लंबा दौर चला।
कोर्ट ने क्या किया ?
कोर्ट ने मामला उलझता देख एक जांच कमेटी बनाई। जांच कमेटी के अधिकारियों को कहा गया कि गाय को दोनों मालिकों के घर से 500 मीटर दूर छोड़ दिया जाए और फिर देखा जाए वो कहां जाती है।
ये काम 15 अप्रैल 2019 को एक साल बाद हुआ। गाय को 500 मीटर दूर छोड़ा गया। गाय कॉन्स्टेबल ओमप्रकाश के घर पहुंच गई, पर वहां थोड़ी देर रुककर फिर आगे चली गई। इधर टीचर श्यामसिंह ने कहा कि गाय को ओमप्रकाश ने आवाज देकर वहां रूकवाया था। पूरे घटनाक्रम के बाद जांच कमेटी 20 पन्नों की रिपोर्ट बनाकर कोर्ट में पेश कर दी।
आखिर आ ही गया कोर्ट का फैसला ?
आखिरकार कोर्ट ने इस मामले में 15 जून 2019 को फैसला सुनाया और गाय को ओमप्रकाश बिश्नोई को दे दी। अब आप सोच रहे होंगे चलो मामला निपटा लेकिन कहानी में फिर यहां पुलिस और कोर्ट घुस गए।
दरअसल जब फैसला सुनकर ओमप्रकाश गाय लेने गौशाला पहुंचा तो वहां श्यामसिंह आ गया और फिर गाय अपनी बताने लगा और फिर दोनों में खूब कहासुनी हुई।
श्यामसिंह ने कोर्ट के आदेश को वहीं फाड़ दिया और गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। फिर वहां पुलिस आई और इस बार टीचर श्यामसिंह धर ले गई।
एक आखिरी बात…..
राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड के अनुसार, 2018 के आखिर में जिला और अधीनस्थ अदालतों में 2.91 करोड़ मामले ऐसे पड़े थे जिन पर कोई फैसला नहीं आया जबकि 24 उच्च न्यायालयों में 47.68 लाख मामले फाइलों में ही पड़े हैं।
विधि मंत्रालय के अनुसार प्रत्येक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सामने लगभग 4,500 लंबित मामले हैं और ऐसे में जब आप एक गाय के केस पर 1 साल तक कोर्ट और पुलिस महकमे को देखते हों तो मन में कई सारे सवाल लाजमी है।