सऊदी अरब के प्रिंस और विवादों से घिरा उनका शासन!

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जून 2017 में मोहम्मद बिन सलमान को प्रिंस और उत्तराधिकारी के रूप में नामित किए जाने के बाद से सऊदी अरब कई विवादों से घिरा हुआ है।

प्रिंस द्वारा अर्थव्यवस्था और समाज के आधुनिकीकरण के लिए कई स्टेप्स लिए गए। जिसमें महिलाओं के ड्राइविंग पर प्रतिबंध हटाने से फैसले चर्चा में रहे। इसके बावजूद प्रिंस ने सऊदी अरब में धार्मिक, बौद्धिक और नारीवादी असंतुष्टों के दमन को आगे बढ़ाया है। इसके अलावा प्रिंस सलमान अपने विदेश नीति के लिए काफी चर्चा में रहते हैं।

यमन में युद्ध

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सऊदी अरब ने मार्च 2015 के बाद से यमन में एक क्षेत्रीय सैन्य हस्तक्षेप का समर्थन किया है। ऐसा सऊदी अरब ने ऐसी सरकार के समर्थन में किया है जो रियाद के कट्टर प्रतिद्वंद्वी ईरान द्वारा समर्थित विद्रोहियों से लड़ रही है।

सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हवाई हमले किए जिसमें कई नागरिकों की भी जानें गईं। 9 अगस्त को, साडा के उत्तरी विद्रोही गढ़ में एक बस पर हवाई हमले में 40 बच्चों सहित 51 लोग मारे गए थे।

गठबंधन ने गलतियों को स्वीकार किया है लेकिन हुथी विद्रोहियों पर मानव ढाल के रूप में नागरिकों का उपयोग करने का आरोप लगाया।

विशेषज्ञों की संयुक्त राष्ट्र के पैनल की 28 अगस्त की रिपोर्ट में दोनों पक्षों पर उल्लंघनों का आरोप लगाया गया लेकिन कहा गया कि गठबंधन के हवाई हमलों में अधिकतर आम नागरिक शिकार हुए और संयुक्त राष्ट्र ने टारगेट प्रोसेस पर कड़े सवाल भी उठाए। सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने रिपोर्ट के लेखकों पर अशुद्धियों का आरोप लगाया।

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गठबंधन के हस्तक्षेप के बाद से यमन के संघर्ष में लगभग 10,000 लोगों की जानें गई हैं।

सऊदी अरब के अमीरों को बनाया बंधक

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सऊदी प्रिंस साल उस वक्त भी मीडिया जगत में छाए रहे जब उन्होंने अपने देश के ही कई प्रिंस और अमीर लोगों को एक सप्ताह तक एक होटल में बंद कर दिया था। बंदक बनाए गए लोगों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। एक हफ्ते बाद इनको आजाद किया गया था। अरबपति राजकुमार अल-वलीद बिन तलाल सहित कई संदिग्धों को अधिकारियों को पर्याप्त वित्तीय बस्तियों का भुगतान करने के बाद ही फ्री किया गया था।

पत्रकार की हत्या

जमाल खगोशी
जमाल खगोशी

हत्या के आरोप भी प्रिंस सलमान पर लगते रहे हैं। पत्रकार का नाम था जमाल खगोशी। सुन्नी रियासतों के खिलाफ वे लगातार लिखते रहते थे। प्रिंस सलमान को सत्ता मिलने के बाद वे अमेरिका शिफ्ट हो गए और वॉशिगन पोस्ट में जॉब कर रहे थे। ये वही पत्रकार हैं जिन्होंने ओसामा बिन लादेन का इंटरव्यू लिया था।

वर्ष अक्टूबर 2018 में खशोगी की इस्तांबुल स्थित रियाद के वाणिज्य दूतावास में उनकी मौत की खबरें सामने आई। हत्या से पहले उनकी अंगुलियां काटकर उन्हें तड़पाया गया और शव के टुकड़े कर तेजाब में फेंक दिया गया था जिसके खशोगी का शव भी बरामद नहीं हुआ। हत्या के बाद सऊदी अरब को अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करना पड़ा था।

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