राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट देने से पहले दोनों ही पार्टियां युवा चेहरों को मौका देने की बात कर रही थी लेकिन नाम सामने के बाद तस्वीर कुछ और ही निकली। राजस्थान यूनिवर्सिटी को राज्य की राजनीति में जाने की पहली सीढ़ी माना जाता रहा है। जहां बीजेपी ने किसी छात्रनेता पर भरोसा नहीं दिखाया तो कांग्रेस ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के 5 पूर्व छात्रनेताओं को मौका दिया है।
भाजपा में किसी का इंतजार पूरा नहीं हुआ
भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी से भी टिकट पाने के कई दावेदार थे लेकिन संगठन ने किसी पर भी भरोसा नहीं दिखाया। राजेश मीणा, कानाराम जाट, महेंद्र शेखावत, शंकर गोरा, अखिलेश पारीक जैसे छात्रनेता बस इंतजार करते ही रह गए।
कांग्रेस ने दिखाया पूरा विश्वास
राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और छात्र राजनीति से जुड़े छात्र नेताओं को मौका देकर कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है। युवाओं में संगठन को लेकर खुशी की लहर है और मेहनत करने का जुनून भी देखा जा सकता है।
पुष्पेंद्र भारद्वाज – कांग्रेस प्रत्याशी (सांगानेर)
पुष्पेंद्र भारद्वाज ने साल 2002 में राजस्थान यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष पद पर चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। इसके बाद वो छात्र राजनीति से किसी ना किसी तरह से जुड़े रहे। संगठन में काम करने के कारण उनको घनश्याम तिवाड़ी जैसे दिग्गज नेता के सामने उतारा गया है।
मुकेश भाकर – कांग्रेस प्रत्याशी (लाडनूं)
मुकेश भाकर राजस्थान यूनिवर्सिटी का काफी जाना-पहचाना चेहरा है। हालांकि वो 2010 में छात्रसंघ चुनाव हारे थे लेकिन छात्र संगठन एनएसयूआई में सक्रिय रहे और आगे चलकर प्रदेशाध्यक्ष भी बने। अब संगठन ने विधायक का टिकट देकर उन पर भरोसा दिखाया है।
मनीष यादव – कांग्रेस प्रत्याशी (शाहपुरा)
2010 में मनीष यादव छात्र संगठन एबीवीपी से छात्रसंघ चुनाव जीतकर अध्यक्ष बनें। इसके बाद साल 2013 में निर्दलीय चुनाव भी लड़ा। उसके बाद से वो हर साल यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनावों में काफी सक्रिय रहे।
रामनिवास गावड़िया – कांग्रेस प्रत्याशी (परबतसर)
राजस्थान यूनिवर्सिटी में राजनीति की शुरूआत लॉ कॉलेज के अध्यक्ष बनकर की। साल 2016 में यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए भी तैयारी की लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया।