पिछले कुछ समय से चुनावी रैरियों का आयोजन काफी संख्या में हो रहा है। भाजपा की स्टार प्रचारक वसुंधरा राजे भी पिछले कुछ समय में कई चुनावी रैलियां कर चुकी हैं। इन चुनावी सभाओं में राजे का एक डायलॉग काफी खास है और वह है भाजपा 36 कौमों को साथ लेकर चलेगी। राजे तकरीबन हर रैली और सभा में यह डायलॉग जरूर बोलती हैं ताकि कोई भी कौम उनसे नाराज न हो और वे जातिगत समीकरण बनाते हुए लोगों को अपनी ओर खींच सकें। संख्न का नारा
गहलोत ले चुके हैं चुटकी
हर बार वसुंधरा के इस डायलॉग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत भी कई बार चुटकी ले चुके हैं। उनका कहना है कि राजे बार-बार 36 कौमों को साथ लेकर चलने का जुमला बोलती हैं पर वे पांच कौमों के नाम तो बता दें जिनको साथ लेकर चली हों। दरअसल जातीय राजनीति को ही अपना आधार मानने वाली राजे अलग-अलग जाति समूहों में अपना वोट बैंक खोजने में लगी हुई हैं।
250 से ज्यादा जातियां
आधिकारिक तौर पर, राज्य में ढाई सौ से अधिक जातियां विभिन्न श्रेणी में हैं। सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग के अनुसार अनुसूचित जाति वर्ग में 59 जातियां, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 12 जातियां, ओबीसी में 82 जातियां, पिछड़ा वर्ग में 78 जातियां हैं। उस पर भी मतदाता राजपूत, जाट, गुर्जर, मीणा, मेघवाल और ब्राह्मण समुदाय में बंटे हैं।
कहां से आया यह जुमला
’36 कौम को साथ लेकर चलने का यह जुमला कैसे राजे की जुबान पर आया इसका कोई आधिकारिक जवाब नहीं है। जब इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञों और इतिहास के जानकारों से पूछा गया तो वे भी इस बारे में कुछ स्पष्ट तौर पर नहीं जानते। राज्य में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं। इनमें से 34 सीटें अनुसूचित जाति, 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं जबकि 141 सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं। गौरतलब है कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान सात दिसंबर को होगा जबकि 11 दिसंबर को परिणाम आएगा।