हांगकांग में चीन ने तैनात की सेना, तीस साल पुरानी घटना दोहराने की आंशका

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हांगकांग में लोकतांत्रिक चुनाव की मांग को लेकर चीन के खिलाफ पिछले कई हफ्ते से प्रदर्शन जारी है। चीन के खिलाफ इस प्रदर्शन की शुरुआत ‘प्रत्यर्पण बिल’ के विरोध में हुई थी, लेकिन अब प्रदर्शनकारी हांगकांग के चीफ एग्जेक्यूटिव कैरी लैम का इस्तीफा और लोकतांत्रिक चुनाव की मांग कर रहे हैं। खबरों के अनुसार हांगकांग में जारी प्रदर्शन पर चीन ने वहां की सीमा के नजदीकी शहर शेनझेन में भारी संख्या में सेना तैनात की है। साथ ही चीन का इशारा है कि वह प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग भी कर सकता है।

शेनझेन बे स्पोर्ट्स सेंटर में 11 अगस्त को ही टैंक, ट्रक और अन्य गाड़ियों के साथ सेना की तैनात की गई है। चीन के हांगकांग में सेना की तैनाती पर यह शंका जताई जा रही है कि चीन एक बार फिर विरोध प्रदर्शन को कुचलने के लिए तीस साल पुरानी इतिहास दोहराने की फिराक तो नहीं है।

लोकतंत्र की मांग को तीस साल पहले कुचला
कम्युनिस्ट चीन में वर्ष 1989 में चीन में लोकतंत्र शासन व्यवस्था को लेकर एक जन आंदोलन हुआ था। इस आंदोलन में अधिकतर छात्र थे। इस आंदोलन को बड़े स्तर पर फैलाने के लिए चीन की राजधानी बीजिंग में स्थित तियानमेन चौक पर चीन सरकार के विरोध में एक लाख से ज़्यादा प्रदर्शनकारी एकत्रित हुए थे। चीन सरकार ने लोकतंत्र की उठती आवाज को कुचलने के लिए मार्शल लॉ लगाया और तोपों, बंदूकों व टैंकों से गोलीबारी कर प्रदर्शनकारियों प्रहार किया गया जिससे हजारों लोगों की जान चली गई ​थी।

क्या था प्रत्यर्पण विधेयक

हांगकांग सरकार ने प्रत्यर्पण विधेयक बनाया था जिसमें आपराधिक मामलों के आरोपितों और संदिग्धों को चीन में प्रत्यर्पित करने का प्रावधान था। इस विधेयक को लेकर हांगकांग में जून महीने से विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस विधेयक से हांगकांग की स्वायत्तता और यहां के नागरिकों का मानवाधिकार खतरे में पड़ा सकते हैं। इस विधेयक के विरोध होने पर बाद प्रशासन ने इसे 15 जून को वापस ले लिया था।

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