कई राज्यों की अधूरी तैयारी के कारण 1 अप्रैल से लागू नहीं होगा सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव

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प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले करोड़ों लोगों के लिए सरकार से राहत की ख़बर आई है। दरअसल, 1 अप्रैल से सैलरी स्ट्रक्चर यानि वेतन ढांचे में होने वाले बदलाव को केंद्र सरकार ने फिलहाल कुछ समय के लिए ​स्थगित कर दिया है। कहा जा रहा है कि सरकार ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि नए श्रम कानून को लेकर कुछ राज्यों की तैयारी अभी अधूरी है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने बीते दिनों में पुराने 29 श्रम कानूनों को बदल कर चार नए श्रम कानून बनाए हैं। इन्ही नये कानूनों के तहत कंपनियों को अपने कर्मचारियों के वेतन ढांचे में कई अहम बदलाव करने हैं। जानकारी के अनुसार, इस बदलाव को टालने के पीछे की वजह राज्यों की अधूरी तैयारी के साथ कोरोना महामारी के बीच वर्तमान हालात भी हैं। इस संबंध में अभी तक कोई सरकारी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। वहीं, फ्रेमवर्क भी तैयार नहीं हो पाया है।

नए कानून लागू होने के बाद कम हो जाएगी इन हैंड सैलरी

नये श्रम कानूनों के तहत होने वाले बदलावों में कर्मचारी की इन हैंड सैलरी (जितना वेतन मिलता है) कम हो जाएगी, लेकिन प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) की राशि बढ़ जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि नए कानूनों का असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ेगा, लेकिन भविष्य के लिए उनके पास बचत ज्यादा होगी। नए नियमों के तहत किसी भी कर्मचारी का बेसिक वेतन सीटीसी से 50 फीसदी से कम नहीं होगा। ऐसे में जिसका बेसिक वेतन सीटीसी का 50 फीसदी है, उसे इस नये कानून से फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन, जिनकी बेसिक सैलरी सीटीसी का 50 फीसदी नहीं है, उन पर इसका असर होगा। ऐसा इसलिए कि पीएफ की राशि बेसिक वेतन से कटती है, जो उसका 12 फीसदी होता है।

ऐसे समझिए सीटीसी और इन हैंड सैलरी का फॉर्मूला

आपको बता दें कि वेतन को दो तरह से विभाजित किया जाता है। इसमें एक होती है सीटीसी यानि कॉस्ट टू कंपनी। वहीं, दूसरी होती है इन हैंड सैलरी या टेक होम सैलरी। कर्मचारी के काम के लिए कंपनी जितनी कुल राशि खर्च करती है, उसे सीटीसी कहा जाता है। इसमें कर्मचारी की बेसिक सैलरी के साथ कंपनी की ओर से मिलने वाले विभिन्न भत्ते भी शामिल होते हैं। कर्मचारी की सीटीसी से कुछ पैसा स्वास्थ्य बीमा के लिए कटता है, तो कुछ पीएफ के लिए। इन सभी कटौतियों के बाद जितना वेतन कर्मचारी को मिलता है उसे इन हैंड या टेक होम सैलरी कहा जाता है। फिलहाल सरकार ने नये कानूनों को कुछ समय के लिए टाल कर निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को राहत दे दी है।

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