चंद्रयान-2 अपडेट : यान से विक्रम लैंडर हुआ अलग, लगाएगा चांद के विपरीत दिशा में चक्कर

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भारत का महत्त्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। इस यान की यात्रा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। वहीं आज 2 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर चंद्रयान-2 यान के ऑर्बिटर से विक्रम लैंडर को अलग कर दिया गया है।

बता दें कि चंद्रयान-2 के तीन प्रमुख हिस्से हैं- पहला हिस्सा ऑर्बिटर, दूसरा विक्रम लैंडर और तीसरा प्रज्ञान रोवर। विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो गया है और इसके अंदर प्रज्ञान रोवर है, जो सॉफ्ट लैंडिंग के बाद बाहर निकलेगा।

विक्रम लैंडर के अलग होने के बाद आने वाले पांच दिन इसके लिए अहम होंगे। इन पांच दिनों में विक्रम इस तरह करेगा काम :

विक्रम लैंडर विपरीत दिशा में कक्षा बदलेगा

मिशन का अगला अहम पड़ाव 3 सितंबर को सुबह 9.00 से 10.00 बजे के बीच विक्रम लैंडर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर को पीछे छोड़ नई कक्षा में प्रवेश करेगा। तब यह चांद से 109 किमी की पेरीजी और 120 किमी की एपोजी के चक्कर लगाएगा। इसे वैज्ञानिक शब्दावली में डिऑर्बिट यानी जिस दिशा में वह जा रहा था, उसके विपरीत दिशा में आगे बढ़ना। अलग हुए विक्रम लैंडर अगले 20 घंटे तक अपने ऑर्बिटर के पीछे-पीछे 2 किमी प्रति सेकण्ड की रफ्तार से चांद के चक्कर लगाता रहेगा। इसके अलग करने की वजह यह है कि ऑर्बिटर चांद के चारों तरफ 100 किमी की ऊंचाई से चक्कर लगाएगा। लेकिन विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना है इसलिए उसे अपनी दिशा बदलनी होगी। इस वजह से वह विपरीत दिशा में चांद का चक्कर लगाएगा।

4 सितंबर को विक्रम बदेलगा दूसरी बार कक्षा

विक्रम लैंडर को अगली कक्षा में इसरो वैज्ञानिक 4 सितंबर की दोपहर 3 से 4 बजे के बीच चांद के सबसे नजदीकी कक्षा में पहुंचाएंगे। इस कक्षा में चक्कर लगाते समय पेरीजी 36 किमी और एपोजी 110 किमी होगी। कक्षा बदलने के बाद यह चांद के काफी नजदीक होगा, जहां 6 सितंबर तक विक्रम लैंडर के सभी सेंसर्स और पेलोड्स का निरिक्षण किया जाएगा। साथ ही प्रज्ञान रोवर के सेहत की भी जांच की जाएगी।

7 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद पर उतरेगा, होगा सबसे चुनौतीपूर्ण दिन

रात 1:40 बजे 6 और 7 सितंबर की रात को विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। लैंडर का चांद की सतह पर उतरना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।

रात 1:55 बजे — विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।

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उसके बाद रात 3 बजकर 55 मिनट पर- लैंडिंग होने के करीब 2 घंटे बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर खुलेगा और यह पैनल उसे ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करेगा।

इसके बाद प्रज्ञान चांद की सतह पर अपनी यात्रा की शुरूआत करेगा। उसकी चांद पर गति एक सेंटीमीटर प्रति सेंकड होगी और वह इस गति से 14 दिन तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।

इस प्रकार 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के साथ ही यह मिशन सफल होगा। 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे।

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