भारत के महत्त्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से अंतिम समय में संपर्क टूटे 8 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं। तब से ही इसरो लगातार विक्रम से संपर्क साधने की कोशिशें कर रहा है लेकिन अभी कामयाबी नहीं मिल पाई है। अब विक्रम से इसरो की संपर्क की उम्मीदें धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। अब मात्र 6 दिन बचे हैं। अगर इन 6 दिनों में विक्रम से संपर्क नहीं हुआ तो सारी उम्मीदें खत्म हो जाएंगी, साथ ही मिशन भी समाप्त हो जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की विक्रम से संपर्क की कोशिशें जारी है। इसके लिए इसरो अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा से भी सहयोग ले रहा है। लेकिन, विक्रम की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है।
विक्रम का 6 दिन बाद संपर्क नहीं होने के कारण
6-7 सितंबर की मध्य रात को जब लैंडर विक्रम की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग होने वाली थी। लेकिन उम्मीद के विपरीत लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग के बजाए हार्ड लैंडिंग हुई जिससे विक्रम चांद पर तिरछा गिरा। हालांकि उसमें नुकसान नहीं हुआ। तभी से ही इसरो के वैज्ञानिक विक्रम से संपर्क की कोशिश कर रहे हैं। वहीं अमेरिकी एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने दावा किया है कि चांद पर अब शाम होने लगी है। LRO से विक्रम लैंडर की तस्वीर तो लेगा, लेकिन वो कितनी साफ होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि, वहां सूरज की रोशनी कम होगी। ऐसे में तस्वीर लेना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।
चांद पर रात शुरू होने के साथ टूट जाएगी उम्मीदें
नासा के अनुसार चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर लैंडिंग के समय वहां पर सुबह हो चुकी थी। चांद पर सूरज की किरणें पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर रहती है। इससे अंदाजा लगाया गया है कि 20-21 सितंबर के बीच चांद पर पूरी तरह रात हो जाएगी। इससे स्पष्ट होता है कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान द्वारा मिशन केवल 14 दिनों में पूरा करने का था। चांद पर शाम होनी शुरू हो गई है। ऐसे में 20-21 सितंबर को वहां पूरी तरह रात हो जाएगी, जो अगले 14 दिन तक रहेगी।
चांद पर रात होने की वजह से वहां सूरज की किरणें अगले 14 दिनों तक नहीं पहुंचेगी। वहां का तापमान माइनस 183 डिग्री तक पहुंच जाएगा, जिससे विक्रम के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के खराब होने की संभावना बढ़ जाएगी। इससे बाद विक्रम से संपर्क होने मुश्किल है।