‘चंद्रयान-2’ को कराया तीसरी कक्षा में प्रवेश, इसरो इतिहास बनाने से बस 11 कदम दूर, जानिए आगे की हर डिटेल

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22 जुलाई को अपने प्रक्षेपण से अब तक चंद्रयान-2 का सफर शानदार रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 28 अगस्त को चंद्रयान-2 को चांद की तीसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कराया है। चंद्रयान-2 को चांद की तीसरी कक्षा में आज प्रात: 9.04 बजे प्रवेश कराया गया। इसके बाद चंद्रयान-2 पृथ्वी के उपग्रह चांद के चारों तरफ 179 किमी की पेरीजी और 1412 किमी की एपोजी में चक्कर लगाएगा। यहां पर यह अगले दो दिन तक चांद के चक्कर लगाता रहेगा। फिर चंद्रयान-2 को 30 अगस्त के दिन चांद की चौथी और 1 सितंबर को पांचवीं कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।

20 अगस्त से इसरो कर रहा है कठिन चुनौतियों को दूर

इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-2 मिशन को सफल बनाने के लिए 20 अगस्त से ही कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इसरो वैज्ञानिकों के सामने सबसे पहले चंद्रयान की गति को नियंत्रित करना था। इसकी गति को 20 अगस्त यानि मंगलवार को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया था। जिससे चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी तक की कमी की गई। इसकी गति को नियंत्रित करने के पीछे की वजह यह है कि वह चांद के गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आने से बच सके और यान चांद से न टकरा सके। चंद्रयान-2 का चांद की कक्षा में प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस चुनौती को बड़ी सहजता और कुशलता के साथ सफलता में बदल दिया।

2 सितंबर को अगली चुनौती, यान से अलग होंगे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर

चंद्रयान-2 मिशन की कामयाबी के लिए चांद की सबसे नजदीकी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार कक्षीय बदलाव करने थे उनमें से तीन बदलाव पूरे किए जा चुके हैं। अब 30 अगस्त की शाम को 6.00 से 7.00 बजे के बीच इसे 126×164 किलोमीटर की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा। इसके बाद मिशन का अगला अहम पड़ाव दो सितंबर को होगा, जब लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। अलग हुए लैंडर विक्रम अपने भीतर मौजूद प्रज्ञान रोवर को लेकर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा।

फिर 3 सितंबर को विक्रम लैंडर की सेहत के परीक्षण के लिए इसरो वैज्ञानिक 3 सेकंड के लिए उसका इंजन ऑन करेंगे और उसकी कक्षा में मामूली बदलाव करेंगे।

चार सितंबर को इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर को चांद के सबसे करीबी कक्षा में प्रवेश करवाएंगे। इस कक्षा में सबसे कम दूरी (पेरीजी) 35 किमी और चांद से यान की अधिकतम (एपोजी) दूरी 97 किमी होगी। इस कक्षा में विक्रम लैंडर अगले तीन दिन तक चांद का चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान इसरो वैज्ञानिक विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के सेहत की जांच करते रहेंगे।

7 सितंबर को विक्रम लैंडर चांद पर उतरेगा, होगा सबसे चुनौतीपूर्ण दिन

रात 1:40 बजे 6 और 7 सितंबर की रात को विक्रम लैंडर 35 किमी की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना शुरू करेगा। लैंडर का चांद की सतह पर उतरना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण काम होगा।

रात 1:55 बजे — विक्रम लैंडर दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में उतरेगा। लैंडर 2 मीटर प्रति सेकंड की गति से चांद की सतह पर उतरेगा। ये 15 मिनट बेहद तनावपूर्ण होंगे।

उसके बाद रात 3 बजकर 55 मिनट पर- लैंडिंग होने के करीब 2 घंटे बाद विक्रम लैंडर का रैंप खुलेगा। इसी के जरिए 6 पहियों वाला प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरेगा। प्रज्ञान रोवर का सोलर पैनल सुबह 5 बजकर 5 मिनट पर खुलेगा और यह पैनल उसे ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करेगा।

इसके बाद प्रज्ञान चांद की सतह पर अपनी यात्रा की शुरूआत करेगा। उसकी चांद पर गति एक सेंटीमीटर प्रति सेंकड होगी और वह इस गति से 14 दिन तक यात्रा करेगा। इस दौरान वह 500 मीटर की दूरी तय करेगा।

इस प्रकार 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के साथ ही यह मिशन सफल होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे।

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