दिवाली से पहले केंद्र सरकार का किसानों को तोहफा, गेहूं समेत कई फसलों पर एमएसपी बढ़ाई

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केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले देश के किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए कई खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का ऐलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी। सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्र सरकार के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दे दी है।

इसके तहत दलहन (मसूर) के एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्ण उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरसों की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। वहीं जूट की MSP में 110 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। बता दें कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने गेहूं समेत सभी रबी फसलों की एमएसपी में 9 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। सीएसीपी की सभी सिफारिशों को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली है।

गेहूं पर एमएसपी 110 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी

केंद्रीय मंत्री की जानकारी के अनुसार, केंद्रीय कैबिनेट ने मसूर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को 5500 रुपये से बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसके अलावा, सरकार ने गेहूं की फसल पर एमएसपी को 110 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है। एमएसपी पर गेहूं की खरीद अब 2015 से बढ़कर 2125 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

जानिए क्या होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)?

न्यूनतम समर्थन मूल्य या एमएसपी एक तय कीमत है जिस पर केंद्र सरकार देश के किसानों से निश्चित मात्रा में फसल खरीदती है। इस तरह सरकार किसानों से जिस तय भाव पर खाद्यान खरीदती है, उसे ही न्यूतम समर्थन मूल्य या MSP कहा जाता है। किसी फसल का एमएसपी इसलिए तय किया जाता है, ताकि किसानों को किसी भी हालत में उनकी फसल का उचित न्यूनतम मूल्य मिल सके। गौरतलब है कि केंद्र सरकार वर्तमान में खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली 23 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है।

साल में दो बार तय होता है न्यूनतम समर्थन मूल्य

केंद्र सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर वर्ष में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में किया जाता है। इसके अलावा गन्ने का समर्थन मूल्य भी गन्ना आयोग ही तय करता है।

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