बायजू रवीन्द्रन सिर्फ 37 साल के हैं। ये अब भारत के नए अरबपति बन चुके हैं। हमारे देश में पैसे वाले लोगों की कमी नहीं है। मगर हम बायजू रविन्द्रन के बारे में आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि इनकी कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है।
इंजीनियरिंग छोड़ शुरू की टीचिंग
रविन्द्रन ने इंजीनियरिंग की मगर उनको शुरू से पढ़ाने का शौक था। इन्होंने मैनेजमेंट का सबसे टफ एग्जाम आईआईएम में टॉप किया मगर एडमिशन नहीं लिया। बायजू रविन्द्रन को शुरू से पढ़ाने का शौक था इसलिए शुरू में उन्होंने अपने दोस्तों की मदद करने के लिए फ्री में भी पढ़ाया। उनका पढ़ाने का तरीका बहुत खास था। कहा जा सकता है कि बायजू के लर्निंग कॉन्सेप्ट क्लियर थे। इसके चलते वो बाद में टीचर बन गए। उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। वो मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स को भी कोचिंग देने लगे। टीचिंग में वो इतने अच्छे थे कि उनके पास धीरे—धीरे स्टूडेंट्स की संख्या इतनी बढ़ गई कि उन्होंने स्टेडियम में पढ़ाना शुरू कर दिया। फिर क्या था बायजू रविन्द्रन एक सेलिब्रेटी टीचर बन गए।
2011 में थिंक एंड लर्न कंपनी ने इस महीने 15 करोड़ डॉलर कमाए
बायजू को समझ आ गया था कि देश के स्टूडेंट्स को अच्छी लर्निंग स्किल्स की जरूरत है। रविन्द्रन हर बच्चे को ट्यूशन या कोचिंग देना चाहते थे। उनको एक स्टार्टअप का आइडिया आया। उन्होंने स्टूडेंट्स को आॅनलाइन कोचिंग देने के लिए 2011 में थिंक एंड लर्न कंपनी की शुरूआत की। साथ ही उन्होंने 2015 में अपना लर्निंग एप्लीकेशन बायजू लॉन्च किया। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक रवींद्रन की कंपनी थिंक एंड लर्न ने इस महीने 15 करोड़ डॉलर यानि 1,035 करोड़ रुपए की फंडिंग जुटाई थी। इससे कंपनी का वैल्यूएशन 39,330 करोड़ रुपए हो गया। रवींद्रन के पास कंपनी के 21% से ज्यादा शेयर हैं।
इनकी कंपनी फ्लिपकार्ट, पेटीएम और ओला के बाद बायजूज देश की चौथी सबसे कीमती निजी इंटरनेट कंपनी बन गई है।
बायजू के 3.5 करोड सब्सक्राइबर, 24 लाख पेड यूजर
बायजू के 3.5 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। इनमें से 24 लाख पेड यूजर हैं जो सालाना 10 हजार से 12 हजार रुपए तक फीस चुकाते हैं। इस साल मार्च तक बायजू मुनाफे में आ गई थी। मार्च 2020 तक इसका रेवेन्यू दोगुने से भी ज्यादा होकर 3,000 करोड़ रुपए पहुंचने की उम्मीद है। ऑनलाइन लर्निंग इंडस्ट्री की ग्रोथ ने नैस्पर्स वेंचर्स, टेनसेन्ट होल्डिंग्स, सिक्योइया कैपिटल और फेसबुक के फाउंडर मार्क जकरबर्ग तक का खींचा है। बायजू कन्टेंट को छोटा और आकर्षक बनाकर बच्चों का ध्यान खींचती है। रवींद्रन इंग्लिश स्पीकिंग देशों में भी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। उन्होंने पिछले दिनों ऐलान किया था कि बायजू वॉल्ट डिज्नी कंपनी के साथ मिलकर अगले साल अमेरिका में सर्विस शुरू करेगी।
मोबाइल एप्प के तहत कुछ कंटेंट तो फ्री है, लेकिन एडवांस लेवल के लिए फीस देनी होती है। बायजूस में 1000 कर्मचारी भी काम कर रहे हैं। बायतू एप से कुल रेवेन्यू का 90 फीसदी हिस्सा आ रहा है, जबकि विदेशी यूजर्स से आने वाले रेवेन्यू का हिस्सा 15 फीसदी है।