वंशवाद के नाम पर कन्नी काटने वाली मायावती ने क्यों बसपा में भाई-भतीजावाद कर दिया !

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लोकसभा चुनाव में महागठबंधन से मिली नाकामी के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती एक बार फिर एक्टिव मोड में दिखाई दे रही हैं। 2022 में जहां बसपा अपने दम पर सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं उससे पहले संगठन में कई अहम बदलाव किए गए हैं।

रविवार को मायावती ने अपने छोटे भाई आनंद कुमार को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तो भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कॉर्डिनेटर का पद सौंपा है। फैसले की घोषणा करते समय मायावती का कहना था कि यह “वंशवाद की राजनीति नहीं, बल्कि समय की आवश्यकता है”।

गौरतलब है कि मायावती ने पिछले साल मार्च में आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था, लेकिन उन्हें उसी साल मई में हटा दिया गया था, जिसके बाद कहा गया कि वह वंशवाद की राजनीति के खिलाफ हैं।

उस समय मायावती ने कहा था कि जैसा कि हम भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा गठबंधन बनाने की ओर बढ़ रहे हैं और हम सभी जानते हैं कि बसपा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है, ऐसे में मैं नहीं चाहती कि कोई भी मेरे ऊपर राजनीति में अपने परिवार को बढ़ावा देने का आरोप लगाए।

लेकिन उसके तीन महीने बाद ही, उन्होंने आनंद कुमार के बेटे आकाश को पार्टी में शामिल कर लिया और बाद में उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए बसपा के “स्टार प्रचारकों” की लिस्ट में भी डाल दिया।

कौन है आनंद कुमार ?

शुरूआती दिनों में नोएडा में क्लर्क का काम करते थे लेकिन जब मायावती ने यूपी में पैर जमा लिए तो सब कुछ छोड़कर मायावती के साथ हो लिए। अब राजनीति में चाहे सक्रिय तौर पर रहें या बाहरी, सभी से आपके संपर्क हो ही जाते हैं। आनंद ने कई बिल्डर्स और बिजनेसमैन से दोस्ती की। कई कंपनियां खोलीं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 2007 में जब मायावती यूपी की सीएम थी तब आनंद के पास 49 कंपनियां थी। हालांकि बीएसपी के पहली बार उपाध्यक्ष बनने के बाद भी आनंद राजनीति में बाहरी ही रहे।

कौन है आकाश?

आनंद कुमार के बेटे और मायावती के भतीजे आकाश आनंद को मुख्य तौर पर पहली बार लोकसभा चुनावों के दौरान ही देखा गया था। बीएसपी ने चुनाव में उन्हें अपना स्टार प्रचारक बनाया था।

आकाश ने लंदन से एमबीए किया है। हालांकि उनके निजी जीवन के बारे में अभी बहुत कुछ पब्लिक डोमेन में नहीं है। ऐसा भी माना जा रहा है कि आकाश को सामने लाने का मतलब मायावती ने एक बड़ा यूथ कार्ड खेला है।

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