बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका की खारिज

Views : 3828  |  3 minutes read
Arnab-Goswami-Case

मुंबई हाईकोर्ट ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को बड़ा झटका देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी हैं। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अर्नब गोस्वामी जमानत के लिए निचली अदालत में जा सकते हैं। इसके बाद अर्नब ने अलीबाग सेशन कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। लेकिन इस याचिका को भी सेशन कोर्ट ने खारिज कर दिया।

असाधारण क्षेत्राधिकार के तहत रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता

आपको बता दें कि अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में रायगढ़ पुलिस ने मुंबई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया। इस मामले में अर्नब के अलावा दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नीतीश सारदा को भी गिरफ्तार किया गया। उन्हें न्यायालय से 14 दिन की न्यायिक हिरासत पर रखा गया है। जस्टिस एस एस शिंदे और एम एस कार्णिक की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को असाधारण क्षेत्राधिकार के तहत रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता है।

पीठ ने कहा कि अर्नब गोस्वामी को जमानत के लिए पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट फिर सत्र न्यायालय में आवेदन करना होगा। वहां से जमानत नहीं मिलने पर ही वह उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर कर सकते हैं। इस मामले में कोई अलग से व्यवस्था नहीं है। उच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत अर्जी पर अपना फैसला शनिवार को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि मामले के अदालत में लंबित होने का यह मतलब नहीं है कि आरोपी सत्र अदालत से सामान्य जमानत का अनुरोध नहीं कर सकते।

इंटीरियर डिजाइनर के सुसाइड से जुड़ा है मामला

रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को 53 वर्षीय इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को वर्ष 2018 में कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में चार नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। आत्महत्या के वक्त अन्वय ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि अर्नब और अन्य आरोपियों की कंपनियों से बकाया नहीं मिलने के कारण उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा।

Read More: वन रैंक वन पेंशन के तहत केंद्र सरकार ने जारी किए 10795.4 करोड़ रुपये

अर्नब को 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

आपको जानकारी के लिए बता दें कि मुंबई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किए जाने के बाद अर्नब गोस्वामी को अलीबाग ले जाया गया, जहां मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (मजिस्ट्रेट) के समक्ष पेश किया गया। मजिस्ट्रेट ने अर्नब को पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने अर्नब और दो अन्य आरोपियों को 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

COMMENT