देशभर में अप्रैल और मई महीने में सात चरणों में वोटिंग होगी। 19 मई को अंतिम चरण का मतदान होगा। हाल में निर्वाचन आयोग ने 17वीं लोकसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। देश में चुनावी माहौल के बीच राजनेताओं पर फिल्म बनने और रिलीज होने का एक सिलसिला चल पड़ा है। हाल में ‘इंदू सरकार, एनटीआर, ठाकरे, द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ जैसी पॉलिटिकल बैकग्राउंड बेस्ड फिल्में रिलीज हुई हैं। इसके बाद अब कई पॉलिटिकल बेस्ड फिल्में रिलीज होने के लिए कतार में है। इनमें फिल्म ‘पीएम नरेन्द्र मोदी’ की हर ओर चर्चा है। इसके अलावा एक और राजनेता की फिल्म आ रही है उसका नाम है ‘दीनदयाल एक युग पुरुष’। ऐसे में आइये जानते हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय और फिल्म की स्टार कास्ट के बारे में…
दीनदयाल की जीवन यात्रा और मृत्यु के रहस्य को उजागर करेगी फिल्म
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर बनने वाली फिल्म का टाइटल ‘दीन दयाल एक युग पुरुष’ है। इस फिल्म में पंडित उपाध्याय का शुरुआती जीवन, उनकी शिक्षा और पॉलिटिकल जर्नी को दिखाया जाएगा। साथ ही यह फिल्म उनकी मृत्यु के रहस्य को भी उजागर करेगी। वरिष्ठ कलाकार इमरान हसनी सीनियर दीनदयाल की भूमिका में दिखेंगे जबकि निखिल पितले युवा दीनदयाल की भूमिका में है। दीनदयाल की मुंहबोली बहन के किरदार में वेटरन एक्ट्रेस अनीता राज दिखेंगी। वे लंबे समय बाद सिल्वर स्क्रीन पर वापसी कर रही है। फिल्म में दीपिका चिखालिया पहली बार नकारात्मक किरदार निभाती नज़र आएंगी।
अनिल रस्तोगी दीनदयाल के मामा की भूमिका निभाते दिखेंगे। इनके अलावा फिल्म में सह कालाकार के रुप में अभय शुक्ला, प्रशांत राय, अखिलेश जैन, शिप्रा रस्तोगी और बालेन्द्र सिंह दिखेंगे। इस फिल्म को ‘ग़ालिब, मैं खुदीराम बोस हूं, लक्ष्मण रेखा’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके मनोज गिरी ने डायरेक्ट किया है। इसके प्रोड्यूसर मणिकांत झा और रेशम साहू हैं। फिल्म का निर्माण एरियस क्रिएटिव के बैनर तले हो रहा है।
जल्ह ही रिलीज हो सकती है यह फिल्म
‘दीनदयाल एक युग पुरुष’ फिल्म की कहानी धीरज मिश्रा ने लिखी है। वे इससे पहले ‘जय जवान जय किसान’ और ‘चापेकर ब्रदर’ जैसी फिल्में लिख चुके हैं। फिल्म की शूटिंग दीनदयाल उपाध्याय के जन्म स्थान मथुरा, इलाहाबाद, फूलपुर, बनारस में हुई है। कुछ सीन मुंबई में फिल्माए गए हैं। फिल्म की कहानी लिखने वाले राइटर धीरज ने इस स्टोरी पर रिसर्च के लिए 100 से अधिक किताबें पढ़ी हैं। वे इस दौरान दिल्ली में दीनदयाल रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष महेश शर्मा से भी मिले। जिन्होंने दीनदयाल पर 13 से 14 किताबें लिखी हैं। ख़बरों के अनुसार, यह फिल्म आम चुनाव से पहले मार्च माह के अंत तक रिलीज होगी। गौतलब है कि बॉलीवुड में पहले भी कई पॉलिटिकल फिल्में बन चुकी हैं जिसमें ‘राजनीति, गुलाल, सरकार राज, सरकार, रण, चक्रव्यूह, आरक्षण, रक्त चरित्र, शंघाई, सत्याग्रह, यंगिस्तान, डर्टी पॉलिटिक्स’ जैसी फिल्में शामिल है।
कौन हैं पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक राजनीतिक विचारक होने के साथ-साथ साहित्यकार, अनुवादक व पत्रकार भी थे। उपाध्याय का जन्म जयपुर के धानक्या में 25 सितम्बर, 1916 को हुआ था। जबकि इनका गांव मथुरा के नगलाचंद्रबन है। दीनदयाल उपाध्याय के पिता एक ज्योतिषी थे। जब वह तीन साल के थे तब उनकी माता का देहांत हो गया और जब 8 साल के थे तब उनके पिता का भी देहवासन हो गया था। बचपन में ही माता और पिता का देहावसान हो जाने पर उनके मामा राधारमण शुक्ल ने ही उनका लालन-पालन किया था। उनकी मेधावी प्रतिभा शक्ति का परिचय तब हुआ, जब उन्होंने अजमेर बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान लेकर उत्तीर्ण की। उपाध्याय की लिखी पुस्तकों में सम्राट चन्द्रगुप्त, भारतीय अर्थनीति एक दिशा, जगदगुरू शंकराचार्य प्रमुख हैं। उन्होंने ‘पांचजन्य’ तथा मासिक ‘राष्ट्रधर्म, ‘दैनिक स्वदेश’ पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया था।
1950 में जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने पंडित नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दिया था। तब 21 सितम्बर, 1951 को पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने यूपी में भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मिलकर 21 अक्टूबर, 1951 को जन संघ का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। 1968 में वह जन संघ के अध्यक्ष बने। इसके कुछ ही समय में 11 फरवरी 1968 को उनका निधन हो गया।
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उपाध्याय भारतीय राजनीति के वो सितारे थे जो अपनी चमक बिखेरने से ठीक पहले दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी मौत आज भी एक रहस्य बनी हुई है। उनकी लाश उत्तर प्रदेश के मुग़ल सराय स्टेशन के नजदीक पटरियों पर मिली थी। अभी हाल ही में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया जो खूब चर्चा में रहा। अब दीनदयाल की मौत से पर्दा उठाने के लिए बॉलीवुड फिल्म ‘दीनदयाल एक युगपुरुष’ बन रही है। दीनदयाल उपाध्याय और श्याम प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित जन संघ आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी बन गई।