सितंबर के अंत तक लॉन्च की जा सकती है बायोलॉजिकल ई. की कोरोना वैक्सीन

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देश में जिस तरीके से कोविड-19 के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं, उसे देखते हुए सरकार की तैयारी है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाकर इस महामारी से बचाया जाए। ऐसे में भारत में कई नए टीके ट्रायल प्रक्रिया से गुजर रहे हैं। इस बीच खबर है कि तेलंगाना के हैदराबाद में स्थित भारतीय जैव प्रौद्योगिकी और बायो-फार्मास्युटिकल कंपनी बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन भी जल्दी ही देश में लॉन्च होने वाली है।

सितंबर के अंत तक आ सकती है नई वैक्सीन

सूत्रों की माने तो बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड के ‘कार्बेवैक्स’ टीके को भारत में सितंबर के अंत तक लॉन्च किया जा सकता है। बता दें, ‘कार्बेवैक्स’ टीके का अभी तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। यह स्पाइक प्रोटीन से बनने वाली पहली कोरोना वैक्सीन है जो देश में सबसे सस्ते दामों में उपलब्ध होगी। जानकारी के अनुसार सरकार ने हैदराबाद की इस कंपनी को कार्बेवैक्स टीके की 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति के लिए 1500 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया है।

क्या है इस वैक्सीन की खास बात?

कार्बेवैक्स एक रिकॉम्बिंनेंट प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है। यह कोरोना वायरस की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बनी है। यह स्पाइक प्रोटीन ही वायरस को शरीर की कोशिकाओं में घुसने में मदद करता है। इसके बाद वायरस अपनी तादाद बढ़ाकर शरीर में संक्रमण फैलाना शुरू करता है। हालांकि, शरीर में सिर्फ चला जाए तो यह हानिकारक नहीं होता, लेकिन हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इसे वायरस मानकर ही एंटीबॉडी विकसित करने लगता है। ऐसे तैयार में मदद करती है इसके चलते हमारे गंभीर रूप से बीमार पड़ने की आशंका बहुत कम हो जाती है

कम लागत वाले तरीके से बनी

अब तक जिन टीको को मंजूरी मिली है, वे एमआरएनए (फाइजर, मॉडर्ना) वायरल वेक्टर (कोविशील्ड, जॉनसन एंड जॉनसन, स्पूतनिक-वी) आधारित है या इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (कोवाक्सीन, सिनोवेक कोरोनावैक) हैं। कार्बेवैक्स एमआरएनए और वायरल वैक्सीन की तरह केवल स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाती है, लेकिन तरीका अलग होता है। कार्बेवैक्स की भी दो खुराक लगवानी होगी। इसे बनाने में कम लागत वाले तरीकों का इस्तेमाल हुआ है। इसलिए यह सबसे सस्ती वैक्सीनों में से एक होगी।

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