मशहूर निर्देशक बिमल रॉय ने सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाकर समाज को किया था जागरुक

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हिंदी सिनेमा के जाने माने फिल्म डायरेक्टर बिमल रॉय की आज 12 जुलाई को 114वीं बर्थ एनिवर्सरी है। रॉय को भारतीय सिनेमा में समाजपरक और यथार्थवादी फिल्में ‘दो बीघा ज़मीन’, ‘परिणीता’, ‘मधुमती’, ‘बंदिनी’, ‘सुजाता’ और ‘परख’ जैसी शानदार फिल्‍मों के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में कई अवॉर्ड अपने नाम किए। इनमें 11 फिल्मफेयर, दो नेशनल फिल्म और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कान्स फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड शामिल हैं। उनके निर्देशन में बनी फिल्म ‘मधुमती’ को वर्ष 1958 में 9 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे, यह रिकॉर्ड अगले 37 वर्ष तक कायम रहा। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…

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बिमल रॉय का का जीवन परिचय

फिल्म निर्देशक बिमल रॉय का जन्‍म 12 जुलाई, 1909 को अविभाजित भारत में बंगाल प्रांत के ढाका ​के पास स्थित सुत्रपुर गांव में हुआ था। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कोलकाता से की थी। उन्होंने वहां पर ‘न्यू थियेटर प्राइवेट लिमिटेड’ में बतौर कैमरा असिस्टेंट के रूप में काम किया। रॉय ने वर्ष 1935 में रिलीज हुई हिट फिल्म ‘देवदास’ में पब्लिसिटी फोटोग्राफर के रूप में काम किया था।

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आजादी के कुछ वर्षों बाद मुंबई चले आए

द्वितीय विश्व युद्ध और देश की आजादी के बाद बंगाली सिनेमा में गिरावट आईं। बिमल रॉय ने न्यू थियेटर के साथ अंतिम प्रमुख फिल्म वर्ष 1948 में अंजानगढ़ में काम किया। वह अपनी टीम के साथ वर्ष 1950 में मुंबई आ गए। उनकी टीम में हृषिकेश मुखर्जी (संपादक), नबेंदु घोष (पटकथा लेखक), असित सेन (सहायक निर्देशक), कमल बोस (छायाकार) और बाद में, सलिल चौधरी (संगीत निर्देशक) प्रमुख थे। उन्होंने वर्ष 1952 तक अपने करियर के दूसरे चरण की शुरुआत की और ‘मां’ फिल्म का निर्माण किया।

Do Bigha Zamin

फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से की डायरेक्शन की शुरुआत

मशहूर निर्देशक बिमल राय ने डायरेक्शन के क्षेत्र में शुरुआत वर्ष 1953 में फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ से की थी। वर्ष 1959 में बिमल ने पहले मास्को अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी में सदस्य थे। रॉय ने अपने निर्देशन में सामाजिक मुद्दों को लेकर फिल्में बनाईं। उस जमाने में बॉलीवुड इतना कमर्शियल नहीं हुआ करता था, जितना आज के दौर में है। उनकी फिल्में अपने दर्शकों को कुछ सीख दे जाती थी और कई सवाल खड़े करती थी।

उस दौर में विभिन्न सामाजिक मुद्दों जैसे जमींदारी, गरीबी, निम्‍न वर्गों को लेकर छुआ-छूत, औरतों को घर से न निकलने देने जैसे कई मुद्दों पर फिल्में बनती थीं। बिमल रॉय ने अपनी फिल्‍मों के माध्‍यम से भारतीय फिल्‍म जगत की नींव को तो मजबूत किया ही, साथ समाज को भी जागरुक करने का काम किया।

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कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजे गए रॉय

बिमल राय ने सिनेमा जगत में आजीवन उल्लेखनीय योगदान दिया, जिसके लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अवॉर्ड्स से नवाजा गया। उन्हें 11 फिल्‍मफेयर अवॉर्ड, 2 नेशनल फिल्म पुरस्‍कार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कान्‍स फिल्‍म फेस्टिवल में पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। वर्ष 1958 में बिमल की एक फिल्‍म ‘मधुमति’ ने 9 फिल्‍मफेयर अवॉर्ड जीते थे।

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फिल्म निर्देशक बिमल राय निधन

अपने समय के प्रसिद्ध फिल्म डायरेक्टर बिमल रॉय का निधन 8 जनवरी, 1996 को हुआ। उनकी चले जाने से भारतीय सिनेमा जगत को बड़ी हानि हुईं।

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