23 साल की साक्षी मिश्रा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जिसने पूरे देश भर को परेशान किया। वीडियो में साक्षी ने दावा किया कि उनके पिता उनकी और उनके पति अजितेश कुमार की हत्या करना चाहते हैं। इसका कारण साक्षी ने बताया कि उन्होंने अलग—अलग जाति से होते हुए भी शादी कर ली जिसके बाद लड़की के पिता नाराज हो गए। पिता उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं। पिछले एक हफ्ते से यह खबर काफी सुर्खियां बटोर रही हैं खासकर हिन्दी मीडिया में।
उत्तर प्रदेश के बरेली निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की बेटी साक्षी मिश्रा 4 जुलाई को अजितेश कुमार नाम के एक दलित व्यक्ति के साथ भाग गई। एक हफ्ते बाद भागे हुए कपल ने खुद के दो वीडियो जारी किए। दोनों ने वीडियो में पुलिस से सुरक्षा की अपील की थी।
उस वक्त तक पुलिस का कहना था कि वे कपल को अभी तक नहीं ढ़ूंढ़ पाए हैं। वहीं टेलीविजन समाचार संवाददाताओं ने उन्हें खोज लिया स्टूडियो तक में बुला लिया। कपल ने टीवी स्टूडियो में अपने अनुभव के बारे में बताया वहीं न्यूज चैनल एंकर ने मध्यस्थता दिखाने की कोशिश की और विधायक और बेटी साक्षी की बात भी करवाई।
सोमवार को, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कपल को पुलिस सुरक्षा प्रदान की लेकिन इससे पहले ही अजितेश कुमार को अज्ञात पुरुषों द्वारा कथित हमले का सामना करना पड़ा।
अधिकांश मीडिया हाउस में इस मुद्दे को अंतरजातीय विवाह के कारण पैदा हुए संघर्ष के रूप में दिखाया गया जिसके बाद ऑनर किलिंग को इस घटना से जोड़ा गया।
इसके अलावा एक और चीज है जिस पर सभी का ध्यान जाना जरूरी है। दूसरी जाति में विवाह के अलावा साक्षी की कहानी हर रोज होते भेदभाव को भी दिखाती है। भारतीय महिलाओं और बच्चियों का हर दम घरों में इस भेदभाव का सामना करना पड़ता है। एक तरह अन्याय घरों में होते है जिसे या तो अनदेखा किया जाता है या फिर इतना सामान्य बना दिया जाता है कि किसी की नजर वहां जाती ही नहीं।
“मेरे कई बड़े सपने थे”
समाचार चैनल आजतक के साथ इंटरव्यू में साक्षी मिश्रा से पूछा गया कि वह अपने पिता को क्या संदेश देना चाहती हैं। आँसू में घुलते हुए साक्षी मिश्रा ने इस बारे में बात नहीं की कि उनके पिता शादी के खिलाफ इसलिए थे क्योंकि अजितेश दलित था लेकिन उन प्रतिबंधों के बारे में साक्षी ने बताया जो उनके परिवार ने बचपन में उन पर लगाए थे क्योंकि वह एक लड़की थी।
साक्षी ने कहा कि मैं पढ़ना चाहती थी और मेरे कई सपने थे। उसे घर से बाहर काम करने की अनुमति नहीं थी। साक्षी ने कहा कि अपने पिता से उसने कई बार पूछा था कि क्या वह उनके ऑफिस में काम कर सकती है लेकिन पापा ने मुझे कभी गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने मुझे कभी घर से बाहर नहीं जाने दिया। आगे साक्षी ने बताया कि दूसरी ओर उनके भाई विक्की को कुछ भी करने की पूरी स्वतंत्रता थी।
साक्षी ने आगे बताया कि पढ़ाई में उसकी पसंद की नहीं रही और उसे मास कम्यूनिकेशन करने के लिए ऐसे कॉलेज में दाखिला दिला दिया गया जहां पर मोबाइल तक नहीं रखने दिए जाते। साक्षी चाहती थी कि उसके पिता उसे और उसकी बहन को भी उतनी स्वतंत्रता दे जितनी विक्की को दी जाती थी। वो चाहती थी कि उसके पिता अपनी सोच बदलें। साक्षी ने कहा कि जरूरी नहीं लड़की के एक्शन से ही घर की इज्जत जाती है ऐसा लड़कों के कर्म से भी हो सकता है।
साक्षी मिश्रा ने अपने घर में जिस लिंग भेदभाव को देखा ऐसा विभिन्न जाति या वर्ग समूहों में अधिकांश भारतीय महिलाओं के साथ होता ही होगा। दशकों से सरकारी योजनाओं और नीतियों के बावजूद बेटियों के साथ भारतीय घरों में बेटों के मुकाबले अलग तरह से व्यवहार किया जाता है उन्हें कम पोषण मिलता है कम स्वतंत्रता और पढ़ाई या काम करने के भी अवसर कम दिए जाते हैं।
हाल ही में 2018 तक नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में लगभग 40% लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच नहीं है मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि उन्हें घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित रखा जाता है। पिछले एक दशक में भारत की महिलाओं द्वारा श्रम शक्ति में भागीदारी में भी कमी आई है और 2018 में यह मात्र 26% थी। वयस्क महिलाओं को भी मोबाइल फोन की कम पहुंच है। पिछले साल एक हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन में पाया गया था कि केवल 38% भारतीय महिलाओं के पास सेल फोन हैं वहीं 71% पुरुषों के पास मोबाइल है।
जनता की प्रतिक्रिया
अंतरजातीय विवाह को लेकर जो हंगामा भारत में होता है उसी को ध्यान में रखकर शायद साक्षी ने अजितेश के साथ भागने का फैसला लिया लेकिन साक्षी के इस कदम के पीछे सालों से चले आ रहा लिंग भेद भी था। महिलाओं और लड़कियों के प्रति सांस्कृतिक दृष्टिकोण देश के कई हिस्सों में जड़ों में बने हुए हैं और साक्षी के साहस ने इसी पॉइंट को जनता के सामने रखा है।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने साक्षी का विरोध करते हुए कमेंटबाजी भी की। कई लोगों ने साक्षी पर अपने पिता के सम्मान को बर्बाद करने का आरोप लगाया, विक्टिम कार्ड खेलने का आरोप लगाया। कई लोगों ने मीडिया पर भी इस कवरेज को लेकर हमला बोला और कहा कि यह लड़कियों को भागकर शादी करने का लाइसेंस देगा।
रविवार को मध्य प्रदेश में विपक्ष के भाजपा नेता गोपाल भार्गव ने कई ट्वीट किए जिसमें इसी विचार को हवा दी गई। भार्गव ने दावा किया कि साक्षी मिश्रा के मामले के बारे में न्यूज कवरेज से पता चलता है कि कन्या भ्रूण हत्या में वृद्धि होगी और माता-पिता जन्म के समय ही लड़कियों को मार डालेंगे।
ध्यान देंगे तो पता चलेगा कि अधिकतर लोग जो सोशल मीडिया पर साक्षी का विरोध कर रहे हैं वो पुरूष ही हैं। बहरहाल उम्मीद है कि साक्षी के इस साहस के बाद कई इलाकों में महिलाओं के अधिकारों को जगाएंगी और महिलाएं पितृसत्ता के खिलाफ डटकर खड़ी होंगी।