संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में होने जा रहे इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 13वें संस्करण में इस बार वीवो टाइटल स्पॉन्सर नहीं होगा। बीसीसीआई ने इसकी आधिकारिक घोषणा कर दी है। हालांकि यह ऐलान महज औपचारिक मात्र ही था, क्योंकि बीते कई दिन से इस तरह की ख़बर मीडिया में आ चुकी थी। अब बीसीसीआई इस सत्र के लिए स्पॉन्सर्स की ओर से बोलियां आमंत्रित करने की तैयारियां शुरू कर चुका है।
मोटा प्रायोजक खोना नहीं चाहता था बीसीसीआई
आपको बता दें कि आईपीएल के बतौर मुख्य प्रायोजक से चीनी कंपनी वीवो के हटने को लोग भले ही राष्ट्रभक्ति से जोड़कर देख रहे हो, लेकिन इसके अंदर की कहानी कोरोना के कारण कमजोर बाज़ार से जुड़ी नज़र आ रही है। बीसीसीआई भी इससे भली-भांति परिचित था। मगर बोर्ड इतने अहम मौके पर 440 करोड़ रुपये का मोटा प्रायोजक खोना नहीं चाहता था।
बोर्ड को उम्मीद थी कि चीनी कंपनी मान जाएगी, लेकिन इससे पहले ही वीवो के हटने की बात बाहर निकल आई। 2 अगस्त को आयोजित आईपीएल संचालन परिषद की बैठक से पहले ही वीवो के इस साल आईपीएल से नहीं जुड़ने की मंशा के बारे में बीसीसीआई के कुछ आला अधिकारियों को पता था। अनुबंध में इससे बाहर निकलने का भी प्रावधान है, लेकिन यह सिर्फ बोर्ड और चीनी कंपनी वीवो को ही मालूम था।
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जानकारी के अनुसार, गलवान वैली में दोनों देशों के जवानों के बीच हुई झड़प के बाद देश में चीन विरोधी माहौल और खराब होते बाजार के हालात को मध्य नज़र रखते हुए ही वीवो ने बोर्ड अधिकारियों के समक्ष राशि को कम करने या फिर एक साल के लिए हटने की इच्छा जताई थी। बता दें, आईपीएल के प्रायोजकों में कुछ अन्य चीनी कंपनियां भी हैं, हालांकि उनके दूर होने की बात अब तक सामने नहीं आई है। वीवो की जगह अब बीसीसीआई नया प्रायोजक ढूंढने में जुट गया है। आईपीएल के बारे में एक बड़ी चिंता की बात यह है कि यूएई में लीग के लिए अब तक गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की ओर से मंजूरी नहीं मिली है।