वैसे तो भारतीय संस्कृति में प्रकृति से लगाव यहां के त्यौहारों में साफ नजर आता है। ऐसे ही बसंत मौसम के आने का सम्बन्ध बसंत पंचमी से है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है जो बुद्धि और विद्या की देवी मानी जाती है। बसंत के महिने की पंचमी को न तो ज्यादा सर्दी होती है और न ही गर्मी इसी कारण बंसत ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है।
इस दिन लोग अलग-अलग मूहर्त में पूजा पाठ करते हैं। जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, उस दिन को सरस्वती पूजा के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।
मां सरस्वती के जन्म की पौराणिक कथा
हिन्दू पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो उन्होंने प्रकृति में पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए। लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कोई कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।
ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। बहते पानी की धारा में आवाज़ आई, हवा सरसराहट करने लगा, जीव-जन्तु में स्वर आने लगा, पक्षी चहचहाने लगे। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन बसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।
बसंत पंचमी है शुभ दिन
भारतीय संस्कृति में इस दिन को अबूझ मुहर्त के रूप में माना जाता है और यही कारण है कि नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, विवाह, व्यापार आदि शुरू करना भी शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी के दिने पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ होता है। इस दिन कई स्थानों पर बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इतना ही नहीं इस दिन पीले पकवान बनाना भी अच्छा माना जाता है। इस समय गांवों में सरसों की फसल में पीले फूल आते हैं जो पूरी धरती को पीला चुनरी में रंग देते हैं।
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
- घरों, विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
- सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें।
- पूजा स्थान पर किताबें रखें और हो सके तो वाद्ययंत्र भी रखें। बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं।
- बच्चों को तोहफे में पुस्तक व पैन आदि दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।
मां सरस्वती वंदना मंत्र
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
शुक्लां ब्रह्मविचार सारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं, वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्, वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
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इस दिन कामदेव की पूजा भी होती है
कामदेव को प्रेम और काम का देवता माना जाता है। कुछ लोग बसंत पंचमी के दिन कामदेव की पूजा करते हैं। भारतीय पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत कामदेव के मित्र हैं। इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है।