आज के समय में हर कोई व्यक्ति अपनी आय में से थोड़ी बचत करता है। इस बचत को वह अपने बैंक अकाउंट में जमा कराता है। बैंक हमें हमारी जमा रकम को सुरक्षित रखने की पूरी गारंटी देते हैं। ऐसे ही देश के लाखों—करोड़ों लोग बैंक में एफडी करवाते हैं। लेकिन हाल में कुछ ऐसे मामले (जैसे पीएमसी) सामने आए हैं जिससे लोगों के जेहन में बैंकों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। जैसे अगर बैंक की हालत खस्ता हो जाए या फिर वह फेल हो जाए तो लोगों की जमा राशि का क्या होगा? क्या बैंक हमारा पैसा लौटाएगा या हमें पूरा पैसा मिलेगा।
इन सवालों के जवाब में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस सिलसिले में एक नई घोषणा की है। यद्यपि अधिकांश पब्लिक सेक्टर और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की आर्थिक स्थिति अच्छी है, लेकिन फिर भी लोगों के मन में अपने रुपये को लेकर चिंता लगी रहती है।
5 लाख रुपए की जमा राशि पर गारंटी
एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में बैंक खाताधारकों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने बैंक के फेल होने की स्थिति में जमाकर्ताओं के लिए इंश्योरेंस राशि को बढ़ाने का ऐलान किया था।
वहीं केंद सरकार से अप्रूवल मिलने पर आरबीआई ने प्रति जमाकर्ता इंश्योरेंस कवर की राशि को बढ़ाकर पांच लाख कर दिया। यह नया नियम 4 फरवरी से प्रभावी हो गया। यानि कि बैंक डूबने की स्थिति में खाताधारक को 5 लाख रुपए की जमा राशि पर गारंटी मिलेगी। बैंक फेल होने पर इससे पहले सिर्फ एक लाख रुपये तक की जमा राशि पर गारंटी मिलती थी।
इस नए नियम के अंतर्गत सभी प्रकार के बैंक आते हैं जिनसे बचत, फिक्स्ड और रिकरिंग डिपॉजिट पर ग्राहकों को गारंटी मिलेगी। यही नहीं ग्राहकों को उनके द्वारा जमा की गई रकम पर मूलधन और ब्याज भी प्रदान किया जाएगा। आपको बता दें कि डिपॉजिट इंश्योरेंस की इस योजना की पेशकश डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन द्वारा की जाती है। यह आरबीआइ की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी है। यह संस्था इस इंश्योरेंस कवर के लिए बैंक के ग्राहकों से सीधे तौर पर कोई प्रीमियम राशि नहीं लेता है, लेकिन बैंकों को बीमा कवर के लिए प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
आरबीआई के अनुसार यह डिपॉजिट गारंटी तब ही लागू होती है, जब बैंक बंद हो जाए। अगर किसी बैंक खाताधारक के अलग-अलग बैंकों में पैसे जमा हैं तो ऐसी स्थिति में भी उसे पांच लाख से ज्यादा का कवर नहीं दिया जाएगा।