अपने सख़्त और बेबाक मिजाज़ के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते थे बलराम जाखड़

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दिवंगत दिग्गज कांग्रेस नेता, भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष व एमपी के पूर्व गवर्नर बलराम जाखड़ की आज 100वीं जयंती है। उनका जन्म 23 अगस्त, 1923 को पंजाब में फाजिल्का (अब अबोहर) जिले के पंचकोसी गांव में हुआ था। एक जाट परिवार में जन्मे बलराम के पिता का नाम चौधरी राजाराम जाखड़ और मां का नाम पातोदेवी जाखड़ था। जाखड़ शुरू से ही मेधावी विद्यार्थी रहे थे। उन्होंने वर्ष 1945 में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर (पाकिस्तान) से संस्कृत में डिग्री ली थी। जाखड़ को अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, पंजाबी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान था। वे अपने राजनीतिक करियर के साथ ही सामाजिक कार्यों से भी जुड़े हुए थे। इस खास अवसर पर जानिए राजनीति के पुरोधा बलराम जाखड़ के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

Balram-Jakhar

विधानसभा चुनाव में जीत से शुरू हुआ सफ़र

वर्ष 1972 के पंजाब विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के साथ ही बलराम जाखड़ का राजनीतिक करियर शुरू हो गया था। चुनाव जीतने के एक साल के भीतर ही उन्हें उप-मंत्री बना दिया गया था। उन्होंने वर्ष 1977 में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीता। हालांकि, इस चुनाव में उनकी पार्टी यानि कांग्रेस बहुमत हासिल नहीं कर सकीं। लेकिन कांग्रेस ने बलराम जाखड़ को पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष बनाया।

वह जनवरी 1980 तक नेता विपक्ष की भूमिका में रहे। यानि उन्होंने करीब तीन साल यह जिम्मेदारी बख़ूबी निभाई थी। वर्ष 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें पंजाब की फ़िरोज़पुर सीट से टिकट दिया। वे पहली बार में ही करीब दो लाख वोटों से आम चुनाव जीतने में सफ़ल रहे।

पहली बार सांसद बनने बावजूद लोकसभा अध्यक्ष बनाया

पहली बार सांसद चुने जाने बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बलराम जाखड़ की योग्यता के आधार पर 22 जनवरी, 1980 को लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनका नाम प्रस्तावित किया था। तब पूर्व पीएम इंदिरा ने कहा था कि एक धरती पुत्र को इस गरिमामय पद पर बिठाकर उन्हें हार्दिक हर्ष का अनुभव हो रहा है।

साल 1985 में आठवीं लोकसभा के लिए हुए चुनावों में जाखड़ को कांग्रेस ने राजस्थान की सीकर लोकसभा सीट से मैदान में उतारा था। उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की और लगातार दूसरी बार लोकसभा में पहुंचे। जाखड़ वर्ष 1980-1989 तक लोकसभा अध्यक्ष रहे थे। वर्ष 1991 में कांग्रेस सरकार ने जाखड़ को केन्द्रीय कृषि मंत्री बनाया।

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संसदीय कार्यों को मॉडर्न बनाने का काम किया

लंबे समय तक लोकसभा अध्यक्ष पद पर रहते हुए बलराम जाखड़ ने संसदीय कार्यों को कंप्यूटरीकृत व स्वचालित बनाने में विशेष योगदान दिया। जाखड़ ने संसदीय लाइब्रेरी, अध्ययन, संदर्भ आदि को प्रचारित करने जैसे प्रभावकारी कदम उठाए, ताकि सांसदों के संसद संबंधी ज्ञानकोष को बढ़ावा दिया जा सके। इसके अलावा संसद अजायबघर की स्थापना में उनका मुख्य योगदान रहा।

वे भारत कृषक समाज के आजीवन अध्यक्ष व जलियांवाला बाग मेमोरियल ट्रस्ट प्रबंधन समिति के अध्यक्ष भी रहे। पेशे से कृषक और बागवानी करने के शौकीन बलराम जाखड़ पीपल, पार्लियामेंट और एडमिनिस्ट्रेशन नामक एक किताब भी लिख चुके हैं। बलराम जाखड़ वर्ष 2004 से 2009 तक मध्य प्रदेश के गवर्नर भी रहे।

इन मामलों से मीडिया की सुर्खियों में रहे थे ​जाखड़

बलराम जाखड़ ने लोकसभा अध्यक्ष रहते कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सार्थक बहस करवाई थी। इनमें से एक था बहुचर्चित बोफोर्स मामला। देश की सेना और सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण इस मुद्दे पर जाखड़ ने 17 घंटे से भी ज़्यादा तक बहस करवाईं। जाखड़ की लंबाई 6.3 फीट थी। वो जहां भी जाते थे, उनके लिए स्पेशल पलंग मंगाया जाता था। एक बार जब वो उज्जैन पहुंचे तो रात में उनके सोने के लिए साधारण पलंग रख दिया गया, तब जाखड़ बहुत नाराज हुए थे। फिर आनन-फानन में रात में 7 फीट लंबा पलंग मंगाया गया था।

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जाखड़ अपने सख़्त और बेबाक मिजाज़ के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते थे। मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने भोपाल के एक कार्यक्रम के दौरान मंच से ही उस वक़्त सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान के लिए भावनात्मक होकर कहा था कि शिवराज काम करो नहीं तो मैं शूट कर दूंगा। उनकी इस बात से प्रदेश की राजनीति में बेहद हलचल मच गई थी। जब जाखड़ एमपी के राज्यपाल बने थे तो सरकार की ओर से मर्सडीज कार दी गई, लेकिन ज्यादा लंबाई के कारण उन्हें यह कार मॉडीफाई करवानी पड़ी थी।

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कई सम्मानों से नवाजे गए बलराम जाखड़

कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ एशियाई मूल के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें राष्ट्रमंडल सांसद कार्यकारी फोरम के सभापति के रूप में चयनित किया गया था। जाखड़ को वर्ष 1975 में बागवानी की प्रक्रिया को सशक़्त बनाने के कारण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने ‘उद्यान पंडित’ की उपाधि से सम्मानित किया था। उन्हें कृषि और बागवानी में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए कई सम्मानों से नवाज़ा गया था। लंबे समय से ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से जूझ रहे राजनेता बलराम जाखड़ ने 3 फरवरी, 2016 को दिल्ली में अपने ​आवास पर अंतिम सांस ली।

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