जानिए क्या है राजपूत करणी सेना की बैकग्राउंड स्टोरी जिसकी कंगना रनौत ने की बोलती बंद

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बॉलीवुड में अक्सर पीरीयड फिल्मों को लेकर कोई ना कोई विवाद होता ही रहा है, जिनमें सबसे ज्यादा चर्चा में रही थी संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावत’ को लेकर हुई कॉन्ट्रोवर्सी। वहीं अब इस कड़ी में शामिल हो गई है कंगना रनौत की अपकमिंग फिल्म ‘मणिकर्णिका’। खबरों की मानें तो करणी सेना ‘पद्मावत’ की ही तरह मणिकर्णिका पर भी सवाल उठाए हैं। हालांकि इस बार कंगना रनौत ने अपने जवाब से सबकी बोलती बंद कर दी है। कंगना रनौत ने करणी सेना को अपने ही तरीके से चेतावनी दी है।

उन्होने कहा ‘चार इतिहासकारों ने ‘मणिकर्णिका’ को प्रमाण पत्र दिया है और हमें सेंसर सर्टिफिकेट भी मिला है। इस बारे में हमने करणी सेना को बता दिया है, लेकिन इसके बावजूद वह हमें तंग कर रहे हैं। यदि वो यह सब करना बंद नहीं करेंगे तो उन्हें पता होना चाहिए कि मैं भी एक राजपूत हूं और मैं सबको बर्बाद कर दूंगी।’ गौरतलब है कि ‘मणिकर्णिका’ की कहानी रानी लक्ष्मी बाई के जीवन पर आधारित हैं, जिन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ सन् 1857 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक महाराष्ट्र की करणी सेना विंग ने हाल ही फिल्ममेकर्स को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा ‘यदि फिल्म में रानी लक्ष्मी बाई की छवि को बदनाम करने की कोशिश की गई या फिर ब्रिटिशर्स के लिए प्रेम दिखलाया गया तो मेकर्स को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।’ वैसे करणी सेना की हर दूसरे दिन आने वाली इन धमकियों को तो आपने कई बार सुना होगा। आज हम आपको बताते हैं कि लोगों को हर बात पर ज्ञान देने वाली इस सेना की बैकग्राउंड स्टोरी क्या है?

क्या है करणी सेना :

अगर आप गूगल पर सर्च करेंगें तो पाएंगे कि साल 2017 के जनवरी महीने से पहले तक इंटरनेट यूज़र्स को करणी सेना के बारे में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन ‘पद्मावत’ फ़िल्म के विरोध समय दीपिका पादुकोण की नाक काटने जैसी धमकियां देने के बाद करणी सेना अचानक चर्चा में आ गई है। अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या करणी सेना कोई राजनीतिक संगठन है? तो इसका जवाब है नहीं, ये कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। हां मगर, राजनीतिक दल इसके पीछे खड़े जरूर नजर आते हैं।

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कैसे हुई शुरूआत :

वर्ष 2006 में कुछ बेरोजगार राजपूत युवकों ने करणी सेना का गठन किया और आज राजस्थान में ये इस समुदाय का चेहरा बन गई है। खास तौर पर राजस्थान के शेखावटी इलाके के छात्र इस संगठन के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। हालांकि यह संगठन अभी कई धड़ों में बंट गया है। इनमें से लोकेंद्र सिंह कालवी के नेतृत्व वाली श्री राजपूत करणी सेना, अजीत सिंह ममदोली के नेतृत्व वाली श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना समिति और सुखदेव सिंह गोगामेदी के नेतृत्व वाली श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना सबसे ज्यादा प्रभावी है।

कौनसी है असली राजपूत करणी सेना :

सभी संगठनों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते इनमें काफी मतभेद है। एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ के बीच सभी राजपूत युवाओं को आकर्षित करना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो करणी सेना पहला संगठन है जो जातीय गौरव के भावनात्मक मुद्दों को लेकर गली सड़कों पर सक्रिय हुआ। करणी सेना के महिपाल सिंह मकराना के मुताबिक कालवी ने इस संगठन को खड़ा किया है वो ही असली संगठन है क्योंकि ये युवा केंद्रित संगठन है। जबकि बाकि संगठनों में प्रौढ़ या उम्रदराज लोग होते है।

क्या है करणी सेनाओं का उद्देश्य ?

राज्य के प्रमुख शहरों में राजपूत सभा और क्षत्रिय युवक संघ कई दशकों से संगठित होकर काम कर रहा है। लेकिन करणी सेना ने अलग रास्ता अपनाया और खुद को युवकों पर केंद्रित किया। राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के गोगामेड़ी का कहना है कि ‘जब हमारे समाज के किसी व्यक्ति या अधिकारी के साथ नाइंसाफ़ी हो रही हो और राजनीतिक दल चुप रहें तो ऐसे में करणी सेना का आवाज़ उठाना लाजिमी हो जाता है। लेकिन राजपूत समाज में ऐसे कई लोग हैं जो इस बदलते हालात को लेकर चिंता व्यक्त करते है।’

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कब आए चर्चा में ?

— करणी सेना पहली बार वर्ष 2006 में चर्चा में आई थी, जब कालवी ने फिल्ममेकर आशुतोष गोवारिकर की फिल्म ‘जोधा अकबर’ का विरोध किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस फिल्म ने ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ किया है। इसी विरोध के चलते यह फिल्म राजस्थान में रिलीज नहीं हो सकी।

— इसके बाद वर्ष 2013 में यह संगठन फिर चर्चा में आया। इस सेना के सदस्य बिना किसी खौफ के खुलेआम धमकियां देते नज़र आते हैं। उस दौरान करणी सेना ने आरक्षण की मांग को लेकर कांग्रेस के चिंतन शिविर को निशाना बनाने की धमकी दी थी।

— साल 2017 में ‘पद्मावत’ के विरोध के समय भी इस सेना ने फिल्म के डायरेक्टर—प्रोड्यूसर से लेकर स्टार कास्ट तक को कई तरह की धमकियां दी थी। जयपुर में शूटिंग करने आए भंसाली पर हमला भी हुआ था। यह फिल्म भी राजस्थान में रिलीज़ नहीं हो पाई थी।

— वर्ष 2017 में ही जब राजस्थान पुलिस ने गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को मार गिराया तो करणी सेना ने उसकी याद में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था। आनंदपाल का एनकाउंटर राजपूत संगठनों के लिए एक मुद्दा बन गया। इस दौरान राजपूतों ने ट्रेन की पटरियां उखाड़ी थीं और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।

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