कर्नाटक राज्य की सालूमरदा थिमक्का सौ (107 साल) वर्ष से भी अधिक उम्र में उनके जज्बे को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया, तो हर किसीने उनका तालियों से स्वागत किया। थिमक्का ने 400 बरगद के पेड़ों सहित 8 हजार से ज्यादा पेड़ भी लगाएं हैं, जिसके कारण उन्हें ‘वृक्ष माता’ की उपाधि प्रदान की गई है।
जब वे पुरस्कार लेने पहुंची तो कड़े प्रोटोकाल भी उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आशीर्वाद देने से नहीं रोक सका। पुरस्कार लेने पहुंची थिमक्का ने आशीर्वाद स्वरूप राष्ट्रपति के माथे पर हाथ लगाया।
पद्म पुरस्कारों से राष्ट्र की सबसे श्रेष्ठ और योग्य प्रतिभाओं को सम्मानित करना राष्ट्रपति के लिए प्रसन्नता का विषय होता है। लेकिन आज जब पर्यावरण की रक्षा में तत्पर, कर्नाटक की 107 वर्ष की वयोवृद्धा सालुमरदा तिम्मक्का ने आशीर्वाद देते हुए मेरे सिर पर हाथ रखा तो मेरा हृदय भर आया। pic.twitter.com/lntX2XnXRI
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 16, 2019
उनके चेहरे की मुस्कराहट और माथे पर ‘त्रिपुण्ड्र’ सबको मोहित कर रहा था। वे समारोह में सादा हल्के रंग की साड़ी पहने हुए थी।
थिमक्का ने लगाए हाइवे के किनारे 400 बरगद के पेड़
थिमक्का का जीवन काफी संघर्षों से भरा हुआ है जब उनके कोई संतान नहीं हुई तो एक बार उन्होंने खुदकुशी करने की सोची परंतु अपने पति के सहयोग व प्रोत्साहन से उन्होंने वृक्षारोपण करने का निश्चय किया। उन्होंने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए रामनगर जिले में हुलुकल और कुडूर के मध्य नेशनल हाइवे पर करीब चार किलोमीटर तक करीब 400 बरगद के पेड़ सहित 8,000 से ज्यादा पेड़ भी लगा चुकी हैं।
इस तरह वे प्रकृति की सेवा में इस कदर रम गई कि उन्होंने हजारों की तादाद में पेड़ लगाकर एक आदर्श स्थापित कर दिया है। उन्होंने ये पेड़ बारिश के समय लगाये थे, ताकि इनकी सिंचाई के लिए अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े। अब इन पेड़ों की देखभाल कर्नाटक सरकार कर रही है।
प्रकृति के प्रति थिमक्का के असीम प्रेम को देखते हुए उनका नाम ‘सालूमरदा’ दे दिया गया। कन्नड़ भाषा में ‘सालूमरदा’ का मतलब ‘वृक्षों की पंक्ति’ होता है।
कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है थिमक्का को
1995 में उन्हें ‘नेशनल सिटीजन्स पुरस्कार’ मिला।
1997 में उन्हें ‘इन्दिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र अवॉर्ड और वीरचक्र प्रशस्ति अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
इस अनोखे अंदाज में प्रकृति की सेवा के लिए थिमक्का को वर्ष 2006 में कल्पवल्ली अवॉर्ड और वर्ष 2010 में गॉडफ्रे फिलिप्स ब्रेवरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
उन्हें आध्यात्मिक गुरु श्री रविशंकर द्वारा संचालित आर्ट ऑफ लिविंग व हम्पी युनिवर्सिटी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।