अब देश में फरार कुख्यात अपराधी अपनी पहचान गुप्त रखकर ज्यादा समय तक पुलिस की पकड़ से बच नहीं पाएंगे। ऐसे अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के तहत एक ऐसा सिस्टम चाहता है जो ‘ऑटोमेटेड फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम (AFRS)’ के माध्यम से सरकारी डाटाबेस में मौजूद फोटो, वीडियो से लोगों की पहचान की जा सकेगी। एनसीआरबी ने फेशियल रिकॉग्नाइजेशन से संबंधित सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तैयार करने वाली कंपनियों से टेंडर भी मांगा है।
एनसीआरबी इस सिस्टम की मदद से अपराधियों की पहचान फोटो के जरिए की जा सकेगी। यही नहीं, फोटो और वीडियो के जरिए लापता लोगों को खोजने में भी मदद मिलेगी।
फेस रिकॉग्नाइजेशन टेक्नोलॉजी एक बायोमैट्रिक आइडेटिफिकेशन सिस्टम है जिसको लेकर हाल में दुनिया भर में लोगों की निजता पर चिंता जताते हुए विरोध किया गया है। बता दें कि हाल में निजता को लेकर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा फेशियल रिकॉग्निशन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बहरहाल, प्रौद्योगिकी पहले से ही स्कूलों, हवाई अड्डों और यहां तक कि अपराधियों को ट्रैक करने के लिए उपयोग की जा रही है।
ऑटोमेटिक फेशियल रिकॉग्नाइजेशन (AFRS) एक इंटरनेट कनेक्टेड सिस्टम होगा जो नई दिल्ली स्थित एनसीआरबी के डाटा सेंटर से कंट्रोल किया जाएगा। इसे एक्सेस करने का अधिकार सभी पुलिस स्टेशन को भी होगा।
इस सिस्टम के लिए क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (CCTNS) का इस्तेमाल होगा। इस सिस्टम के जरिए सीसीटीवी ब्लैक लिस्ट किए गए लोगों के लिए भी एलर्ट भेजा जाएगा। इस सिस्टम में थोक में फोटो अपलोड करने की भी सुविधा होगी। यह सिस्टम पासपोर्ट, फिंगरप्रिंट सेंसर या डाटाबेस में मौजूद किसी भी अन्य पहचान के जरिए आपराधिक तस्वीरों को मिलान करने में सक्षम है।
यह सिस्टम गुमशुदा बच्चों की खोज और लावारिस लाशों की पहचान करने में भी मददगार साबित होगा। देश के किसी भी हिस्से से ऐसे बच्चों की आसानी से पहचान कर उसके असली माता-पिता के पास पहुंचाया जा सकेगा। इसके अलावा प्राकृतिक व अन्य दुघर्टना में मारे जाने वाले लोगों की पहचान भी इस सिस्टम के माध्यम से आसानी से हो सकेगी। पुलिस इस सिस्टम के माध्यम से लावारिश लाश मिलने के मामले की जांच आसानी से कर सकेगी।
ऑटोमेटिक फेशियल रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम के माध्यम से लोगों की पहचान उसकी फोटो, एंगल, लाइट, उम्र, चश्मा, दाढ़ी, निशान, टैटू और हेयर स्टाइल आदि को मिलाकर करेगा। इसके लिए वह एनसीआरबी के डाटाबेस में मौजूद फोटो, वीडियो आदि की मदद लेगा।