खगोल-विज्ञानियों ने खोज निकाला नया चांद ‘हिप्पोकैंप’, एलियंस का हो सकता है ठिकाना

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ब्रह्मांड में नई खोजों के लिए सतत प्रयासरत रहने वाले खगोल वैज्ञानिक अक्सर आकाशीय पिण्डों, उनकी गतियों और अंतरिक्ष में मौजूद विविध प्रकार की चीजों की खोज में लगे रहते हैं। ये खगोल-विज्ञानी एक अध्ययनकर्ता के तौर पर विभिन्न प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं। हाल ही में खगोल-विज्ञानियों को एक बड़ी सफलता मिली है। वर्षों की मेहनत से सोलर सिस्टम के ग्रह नेपच्यून के पास एक नया चांद खोज निकाला है। नेपच्यून सोलर सिस्टम का आठवां ग्रह है। नेपच्यून चौथा सबसे बड़ा भी है। हालांकि इसे अभी तक वैज्ञानिकों ने एलियंस का संभावित ठिकाना माना है।

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भारत के इकलौते चांद से करीब 100 गुना छोटा नया चांद

नेपच्यून के इस नए चांद की साइज करीब 18 मील बताई जा रही है। यह भारत के इकलौते चांद से करीब 100 गुना छोटा है। खगोल वैज्ञानिकों ने इस नए चांद को हिप्पोकैंप नाम दिया है। हिप्पोकैंप नेपच्यून का पहला चांद नहीं है, इसके पास पहले से अपने 13 चांद मौजूद है। खगोल वैज्ञानिकों को इस बारे में लगता है कि हिप्पोकैंप नेपच्यून के ही दूसरे चांद प्रोटियस का टूटा हुआ हिस्सा भी हो सकता है। यह भी माना जा रहा है कि कोई धूमकेतु प्रोटियस से जाकर टकराया होगा जिससे हिप्पोकैंप का निर्माण हुआ है। हिप्पोकैंप बहुत ठंडा बताया जा रहा है। नेपच्यून का सबसे बड़ा चांद प्रोटियस भी काफी ठंडा है। वैज्ञानिकों को यहां हाइड्रोजन, मीथेन और हीलियम गैस मिली है।

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SETI इंस्टीट्यूट इन माउंटेन व्यू ने की नए चांद की खोज

SETI इंस्टीट्यूट इन माउंटेन व्यू नाम की इस संस्था नए चांद की खोज की है। यह संस्था वायुमंडल में चीजों के बारे में खोज करती है। संस्था के मार्क शोवॉल्टर ने कहा, ‘सबसे पहले ये समझना मुश्किल था कि नेपच्यून में छोटा चांद कैसे मौजदू हो सकता है।पहले जिस जगह प्रोटियस था अब उस जगह हिप्पोकैंप मौजूद है। उन्होंने बताया कि यह प्रोटियस से काफी छोटा है।’ प्रोटियस और हिप्पोकैंप के बीच की दूरी 7,500 मील यानी करीब 12,070 किलोमीटर से भी ज्यादा है।

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ग्रीक पौराणिक कथाओं में है हिप्पोकैंप का वर्णन

नेपच्यून में नए चांद की खोज पर नासा एम्स रिसर्च के जैक लिसॉअर ने कहा कि धूमकेतू की आबादी के अनुमानों के आधार पर हमें पता है कि बाहरी सोलर सिस्टम के कई चांद पर धूमकेतू ने हमला किया होगा। इससे एक चांद से कई चांद बन गए होंगे। उन्होंने कहा कि धूमकेतू की वजह से कई चांद बुरी तरह ध्वस्त हो गए हैं। SETI इंस्टीट्यूट इन माउंटेन व्यू द्वारा किए गए इस अध्ययन में एम. शोवॉल्टर एवं आर. फ्रेंच, नासा एम्स रिसर्च सेंटर के जैक लिसॉअर और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के आई.डी पैटर शामिल थे। ऐसा कहा जाता है कि हिप्पोकैंप का वर्णन ग्रीक पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। इसका मतलब एक विशालकाय समुद्री जीव होता है। यह दिखने में आगे से किसी घोड़े की तरह और पीछे से मछली की तरह होता है।

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