आर्कटिक ब्लास्ट के कारण ठंड कर रही है परेशान, जानिए क्या है यह ब्लास्ट

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अमूमन संक्रात के बाद ठंड का असर कम हो जाता है लेकिन इस बार ठंड अपने तेवर दिखा रही है और लगातार देश दुनिया में परेशानी का सबब बनी हुई है। पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी ने इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ना सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी खून जमा देने वाली सर्दी हो रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि सर्दी का यह खेल कहां से शुरू हुआ। दरसअल हाड़ मांस कंपा देनी वाली यह सर्दी आर्कटिक ब्लास्ट के कारण पड़ रही है। यही कारण है कि कई जगहों पर चेतावनी जारी कर दी गई है क्योंकि अब यह सर्दी जानलेवा बनती जा रही है।

राजस्थान के चूरू में मंगलवार को -1.1 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पहाड़ी इलाकों का असर किस कदर मैदानी इलाकों पर भी पड़ रहा है। भारतीय मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान समेत समस्त उत्तर भारत में भीषण ठंड पड़ने की वजह, पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात) का टूटना हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में जनवरी के अंतिम पश्चिमी विक्षोभ ने दस्तक दी है। लिहाजा, गुरुवार तक इसका असर देखने को मिलेगा। इसकी वजह से पश्चिमी हिलायन क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड) में बर्फबारी और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश होने की संभावना है।

आइए जानें क्या है आर्कटि ब्लास्ट या कोल्ड ब्लास्ट

पृथ्वी पर सबसे ठंडी जगह अंटार्कटिका महासागर है, जो उत्तरी ध्रुव पर मौजूद है। यहां हर वक्त तापमान शून्य से नीचे तकरीबन -89.2 डिग्री सेल्सियस रहता है। ठंड के सीजन में तापमान बहुत कम हो जाने पर अक्षांश वाले इलाकों में बर्फीला तूफान चलने लगता है। इससे पूरे इलाके में मोटी-मोटी बर्फ जम जाती है। इसी को आर्कटिक ब्लास्ट या कोल्ड ब्लास्ट कहा जाता है। साइबेरिया, आर्कटिक के सबसे करीब है। इसलिए आर्कटिक ब्लास्ट का असर भी सबसे ज्यादा साइबेरिया पर होता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तर भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में इस बार पड़ रही कड़ाके की सर्दी की वजह आर्कटिक ब्लास्ट हो सकता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार मोरक्को की तरफ से गई गर्म हवाओं के चलते उत्तरी ध्रुव पर गर्मी बढ़ी और वहां आर्कटिक ब्लास्ट हुआ।

यह होता है पश्चिमी विक्षोभ

मौसम विभाग के अनुसार आर्कटिक से ठंड यूरोप और अमरीका में फैल रही है, जो पश्चिमी विक्षोभ के साथ उत्तर भारत तक पहुंच रही है। पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर से पश्चिम और आसपास की ओर आता है। इसमें कम दबाव की हवाओं के कण होते हैं। इससे ठंडी और नम हवाएं चलती हैं। पश्चिमी विक्षोभ दो तरह से चलता है, पहला ये हिमालय से टकराकर उत्तर भारत को प्रभावित करता है और दूसरा ये उत्तर की ओर उड़ जाता है। मौसम विभाग के अनुसार जनवरी 2019 में अब तक सात पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में दस्तक दे चुके हैं। पश्चिमी विक्षोभों की ये संख्या काफी ज्यादा है, इस दौरान अमूमन इनकी संख्या लगभग चार होती है।

अमरीका में भी टूटा रिकॉर्ड

आर्कटिक ब्लास्ट की वजह से अमरीका में पड़ रही कड़ाके की सर्दी ने कई वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अमरीका में भारी बर्फबारी से जनजीवन अस्त-व्यस्त है और पारा -53 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की ओर है। ये सब पोलर वोर्टेक्स (ठंडी हवाओं) की वजह से हुए आर्कटिक ब्लास्ट के कारण हो रहा है। आयोवा राज्य के मौसम अधिकारियों के अनुसार अमेरिका में खून जमाने वाली सर्दी पड़ रही है। ऐसे में अधिकारियों ने लोगों के लिए चेतावनी जारी की है कि वह घर से बाहर निकलते वक्त गहरी सांस न लें और कम से कम बात करें। अमेरिका में मौसम की मार की वजह से 1100 उड़ाने रद कर दी गई हैं।

अमरीकी आंकड़ों पर एक नजर

— अमेरिका के पांच राज्यों में 2700 उड़ानें रद्द। सबसे ज्यादा शिकागो में 1500 उड़ानें रद्द हुईं।
— विस्कोंसिन में दो फीट और इलिनोइस में 6 इंच बर्फबारी। जॉर्जिया और अलाबामा में 4 इंच बर्फ।
— मौसम विभाग के मुताबिक गुरुवार को मिनेसोटा के कुछ क्षेत्रों में पारा माइनस 53 डिग्री तक जा सकता है।
— जमा देने वाली इस सर्दी की चपेट में अमेरिका के 12 राज्यों के साढ़े पांच करोड़ लोग आ गए हैं।

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