भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले दो वर्षों के गांधी शांति पुरस्कारों का ऐलान कर दिया है। वर्ष 2020 के लिए यह पुरस्कार बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को दिया जाएगा। उन्हें यह पुरस्कार अहिंसक और गांधीवादी तरीकों के जरिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन लाने के लिए दिया जाएगा। वहीं, साल 2019 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए ओमान के पूर्व सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद के नाम का ऐलान किया गया है। कोरोना महामारी की वजह से इस बार दो साल की देरी के बाद इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है।
बांग्लादेश को आज़ाद कराया था मुजीबुर्रहमान ने
वैश्विक महामारी कोरोना शुरू होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर 25 मार्च को बांग्लादेश जा रहे हैं। इस दौरे में पीएम मोदी बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में हिस्सा लेंगे। शेख मुजीबुर्रहमान पाकिस्तान से अलग होकर बने बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई थी।
वे शेख मुजीब के नाम से मशहूर थे। उन्हें ‘बंगबंधु’ की पदवी से सम्मानित किया गया था। शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के सदस्यों की 15 अगस्त, 1975 को हत्या कर दी गई थी। बांग्लादेश में मौजूद न होने की वजह से उनकी दोनों बेटियां इस हमले से बच गई थीं। बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शेख मुजीबुर्रहमान की ही बेटी हैं।
ओमान के सबसे बड़े पद पर 5 दशक रहे सुल्तान
ओमान के पूर्व सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद का पिछले साल जनवरी में निधन हो गया था। वे मिडिल ईस्ट के सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाले नेता थे। उन्होंने पांच दशक तक शासन किया था। 23 जुलाई, 1970 को सैद ओमान के सुल्तान बने थे। उन्होंने जीवित रहने तक यह जिम्मेदारी संभाली। सुल्तान कबूस आजीवन अविवाहित रहे। उनकी कोई संतान या भाई नहीं था। सुल्तान ओमान में सबसे बड़ा पद है। वह प्रधानमंत्री, सेना का सुप्रीम कमांडर, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री जैसी जिम्मेदारियां संभालता है।
उल्लेखनीय है कि कबूस की शख्सियत को करिश्माई और दूरदर्शी माना जाता था। वे ओमान में काफी पसंद किए जाते थे। हालांकि, उन पर विरोधी आवाजों को दबाने के भी आरोप लगे। कबूस वर्ष 1970 में अपने पिता सईद बिन तैमूर का तख्तापलट कर इंग्लैंड की मदद से सत्ता पर काबिज हुए थे।
26 साल पहले हुई थी गांधी शांति पुरस्कार की शुरुआत
जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार वर्ष 1995 से ‘गांधी शांति पुरस्कार’ दे रही है। इसकी शुरुआत महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के मौके पर की गई थी। यह अवॉर्ड किसी भी राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति या पंथ के व्यक्ति को दिया जा सकता है। इस पुरस्कार के लिए नामों का चुनाव गांधी शांति पुरस्कार के लिए बनाई एक ज्यूरी करती है। इसकी अध्यक्षता देश के प्रधानमंत्री करते हैं। इस पुरस्कार के तहत विजेता को 1 करोड़ रुपए और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है।
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