21वीं सदी के सबसे लोकप्रिय भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन के नायक कहे जाने वाले किसन बाबूराव हजारे उर्फ अन्ना हजारे 15 जून को अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं। अन्ना वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के वक्त भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहे थे। उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में फूल भी बेचे और फिर आर्मी के लिए ट्रक भी चलाए। अन्ना ने एक गांव का विकास किया और केंद्र सरकार से जन लोकपाल बिल के लिए काफी संघर्ष भी किया। इस खास अवसर पर जानिए आधुनिक गांधी अन्ना हजारे के जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
एक गरीब परिवार में हुआ था जन्म
अन्ना हजारे का जन्म 15 जून, 1937 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले स्थित एक छोटे से गाँव भिंगार में बाबूराव हजारे और लक्ष्मी बाई के घर में हुआ था। बाद में उनके माता-पिता रालेगण सिद्धि चले गए। वर्ष 1947 में जब वे नौ साल के थे तो एक रिश्तेदार उन्हें पढ़ने के लिए मुंबई ले गए, क्योंकि रालेगण सिद्धि के पास कोई प्राइमरी स्कूल नहीं था। बाद के वर्षों में परिवार की आर्थिक हालातों के कारण हजारे को पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी और मुंबई के दादर स्टेशन पर फूल बेचने पड़े।
सेना में कठोर ट्रेनिंग के दौरान सुसाइड करना चाहते थे अन्ना
छोटे कद के होने के बावजूद अन्ना हजारे को उनके हौसले को देखते हुए वर्ष 1963 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। वर्ष 1964-65 के बीच सेना में कठोर ट्रेनिंग से गुजरने के दौरान उन्होंने एक बार आत्महत्या करने की भी सोची, लेकिन वे बचपन से ही स्वामी विवेकानंद की किताबें पढ़ा करते थे और वहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने इस विचार को त्याग दिया।
वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वे खेम करण सेक्टर में तैनात थे और एक दुश्मन के हमले में बच गए, जिसमें उनके अधिकांश साथियों की मौत हो गईं। यह उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था और उन्होंने फैसला किया कि वह अपना आगे का जीवन समाज की भलाई के लिए समर्पित करेंगे।
सेना से रिटायर लेने के बाद रालेगण सिद्धि को चमकाया
वर्ष 1975 में सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद अन्ना हजारे रालेगण सिद्धि लौट आए और इसके उन्होंने पानी की कमी व बड़े पैमाने पर शराब के कारण गांव में व्यापक गरीबी देखी। इस दौरान वो विलासराव सालुंखे के संपर्क में आए जो मिट्टी और जल संरक्षण पर काम कर रहे थे। हजारे ने रालेगण सिद्धि में इस तरह की परियोजना शुरू करने का फैसला किया। इसलिए गांव में वाटरशेड परियोजना का जन्म हुआ।
इससे अब 300 एकड़ भूमि के बजाय 2000 एकड़ से अधिक भूमि सिंचित की जा सकती हैं। उन्होंने ग्रामीणों को शपथ दिलाई कि वे शराबबंदी से लड़ेंगे। परिणामस्वरूप, गांव में 35 से अधिक शराब की सुविधा बंद हो गईं। उन्होंने एक युवा संघ भी स्थापित किया, जिसने शराब के उन्मूलन की दिशा में काम किया और तंबाकू, सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। हजारे ने महिलाओं के लिए एक अनाज बैंक, डेयरी, सहकारी समिति और स्वयं सहायता समूह भी स्थापित किए।
सूचना का अधिकार (RTI) को लेकर आमरण अनशन किया
वर्ष 2003 में अन्ना हजारे महाराष्ट्र में आरटीआई अधिनियम को लागू करने के लिए मुंबई के आजाद मैदान में आमरण अनशन पर चले गए। 12 दिनों के भीतर विधेयक राज्य सरकार द्वारा पारित और अधिसूचित किया गया। बाद में यह विधेयक 2005 में भारत सरकार द्वारा पारित आरटीआई अधिनियम का मसौदा बन गया।
लोकपाल बिल के लिए जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे
भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की लंबी लड़ाई साल 2011 में सुर्खियों में आई। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले वह संसद में लोकपाल विधेयक के पारित होने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी और कई अन्य प्रमुख नाम उनके आंदोलन में भागीदार थे। उन्होंने केंद्र को एक अल्टीमेटम दिया कि अगर अगस्त 2011 तक बिल पास नहीं हुआ तो वह आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे।
केंद्र सरकार ने उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया, जिसके कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन का जन्म हुआ। एक साल के लंबे विरोध के बाद लोकपाल विधेयक भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। इस आंदोलन ने अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी यानि AAP को भी जन्म दिया, जो ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ से ही अस्तित्व में आई।
अरविंद केजरीवाल के साथ रिश्तों में आई दरार
अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल के राजनीति में शामिल होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की, जिन्हें लोकपाल विधेयक विरोध के दौरान उनके सबसे करीबी सहयोगी के रूप में देखा गया था।
अन्ना को मिले पुरस्कार और मान्यताएँ
1990 – अन्ना हजारे को पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमण से प्रतिष्ठित ‘पद्मश्री’ पुरस्कार मिला।
1992 – पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमण से उनकी सामाजिक पहल के लिए उन्हें प्रतिष्ठित ‘पद्मभूषण’ पुरस्कार भी मिला।
चे ग्वेरा ने भारत दौरे पर पंडित नेहरू से किए थे दो अनुरोध, कई देशों की बदला दी थी सत्ता