अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए मिला था इकोनॉमिक्स का नोबेल पुरस्कार

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Amartya-Sen-Biography

मशहूर भारतीय अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन आज अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। इन्हें वर्ष 1998 में अर्थशास्त्र के नोबेल से सम्मानित किया गया था। सेन को वर्ष 1999 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। इन्होंने कल्याणकारी अर्थशास्त्र, आर्थिक और सामाजिक न्याय, अकाल के आर्थिक सिद्धांत, निर्णय सिद्धांत, विकास अर्थशास्त्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य व देशों की भलाई के उपायों में योगदान दिया है। वह वर्तमान में थॉमस डब्ल्यू लामोंट विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र तथा दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर हैं। इस खास अवसर पर जानिए इनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

अमर्त्य सेन का जीवन परिचय

अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर, 1933 को पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में एक बंगाली परिवार में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर ने इनका नाम अमर्त्य सेन रखा था। इनके पिता आशुतोष सेन थे जो ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के प्रोफेसर थे। वर्ष 1945 में वह परिवार के साथ पश्चिम बंगाल चले गए और लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बने। अमर्त्य की माता अमिता सेन थी, जो प्राचीन और मध्यकालीन भारत के जाने-माने विद्वान की बेटी थी। वह रवींद्रनाथ टैगोर की करीबी सहयोगी थी। के.एम. सेन ने वर्ष 1953-1954 तक विश्व भारती विश्वविद्यालय के दूसरे कुलपति के रूप में कार्य किया।

इन्हें वर्ष 1940 में पढ़ने के लिए ढाका के सेंट ग्रेगरी स्कूल में भेजा। वर्ष 1941 में उन्हें विश्व भारती यूनिवर्सिटी स्कूल में दाखिल करवा दिया। इन्होंने आई. ए. परीक्षा में सर्वोच्च अंक हासिल किए और कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया। इस कॉलेज से इन्होंने अर्थशास़्त्र और गणित से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की।

सेन को मुंह के कैंसर होने का पता चला। इन्होंने इसका विकिरणों से उपचार करवाया और वह सही हो गए। इसके बाद वह वर्ष 1953 में ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज चले गये, जहां से इन्होंने दोबारा अर्थशास्त्र में स्नातक प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की और पहले स्थान पर रहे। इन्हें कैंब्रिज मजलिस का अध्यक्ष चुना गया। वह जब कैंब्रिज से पीएचडी कर रहे थे, उसी समय इन्हें नव-स्थापित जादवपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष बनने का प्रस्ताव मिला। इन्होंने वर्ष 1956-58 तक यहां अध्यापन कार्य किया। इस दौरान इन्हें ट्रिनिटी कॉलेज से एक प्रतिष्ठित फ़ेलोशिप के लिए चुना गया, जहां इन्होंने अगले चार वर्ष तक कुछ भी करने की स्वतंत्रता मिली, जिसके बाद अमर्त्य सेन ने दर्शन विषय पढ़ने का फैसला लिया।

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दिग्गज अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का करियर

अमर्त्य सेन ने अपने करियर की शुरुआत जादवपुर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में की, इसी समय वह शोध छात्र भी रहे। वर्ष 1960-61 में इन्होंने अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। यहां पर इनका परिचय पॉल समुएल्सन, रोबर्ट सोलोव, फ्रांको मोदिग्लिआनी और रोबर्ट वेइनेर से हुआ। सेन यू-सी बर्कले और कॉर्नेल में भी विजिटिंग प्रोफेसर रहे।

वर्ष 1963 और 1971 के बीच में इन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनोमिक में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया था। इस दौरान सेन ने कई अर्थशास्त्रियों को अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाई थीं। इनमें प्रमुख थे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, भारतीय इकोनॉमिक्स को उदार बनाने के लिये जिम्मेदार एक अनुभवी अर्थशास्त्री के. एन, बहुत सारे प्रधानमंत्रियो के सलाहकार और जगदीश भगवती हैं। वर्ष 1987 में वह हार्वर्ड अमेरिका चले गए और वर्ष 1998 में उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज का मास्टर बना दिया गया।

वर्ष 2007 में प्राचीनकालीन विश्वविद्यालय नालंदा का पुनर्स्थापित करने के लिए बनी ‘नालंदा मेंटोर ग्रुप’ का इन्हें अध्यक्ष बनाया गया। इसे शिक्षण केन्द्र के रूप में पुनर्स्थापित करना था। 19 जुलाई, 2012 को सेन को इसका पहला चांसलर बनाया गया। यहां पर वर्ष 2014 से अध्यापन कार्य शुरू हुआ। लेकिन 20 फ़रवरी, 2015 को अमर्त्य सेन ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए अपना नाम वापस ले लिया।

सेन का निजी जीवन

अमर्त्य सेन ने तीन शादियां की हैं। इनकी पहली पत्नी नबनीता देव सेन थी, जो एक कवयित्री और उपन्यासकार है। इस वैवाहिक संबंध से इनके दो बेटियां हैं।

पुरस्कार और सम्मान

अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दी गई सेवाओं के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं। सेन को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों द्वारा 90 से अधिक मानद उपाधियां प्रदान की है।

एडम स्मिथ प्राइज, 1954
फॉरेन आनरेरी मेम्बर ऑफ़ द अमेरिकन अकादेमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज, 1981
इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज द्वारा आनरेरी फ़ेलोशिप, 1984
नोबेल प्राइज इन इकनोमिक साइंसेज, 1998
भारत रत्न पुरस्कार, 1999
बांग्लादेश की आनरेरी राष्ट्रीयता, 1999
आर्डर ऑफ़ कम्पैनियन ऑफ़ हॉनर, यू के 2000
लेओन्तिएफ़ प्राइज, 2000
आइजनहावर मैडल फॉर लीडरशिप एंड सर्विस, 2000
351वें स्प ऐट हार्वर्ड, 2001
इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कोम्मेरेस द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, 2004
यूनिवर्सिटी ऑफ़ पाविया द्वारा आनरेरी डिग्री, 2005
नेशनल ह्यूमैनिटीज मैडल, 2011
आर्डर ऑफ़ द एज़्टेक ईगल, 2012
कमांडर ऑफ़ द फ्रेंच लीजन ऑफ़ हॉनर, 2013
ए.डी.टी.वी. ‘25 ग्रेटेस्ट ग्लोबल लिविंग लेजेंड्स इन इंडिया’, 2014
चार्ल्सटन-इ.एफ.जी. जॉन मेनार्ड कीन्स पुरस्कार’, 2015

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