जानिए उन 5 जजों के बारे में जिन्होंने अयोध्या मामले पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला…

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आखिरकार एक लंबे इंतजार के बाद देश के सबसे विवादित अयोध्या मामले में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि रामजन्मभूमि न्यास को मंदिर बनाने के लिए विवादित जमीन दी जाएगी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को किसी अन्य जगह पर 5 एकड़ जमीने देने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष के दावे को भी खारिज कर दिया है। जानिए उन 5 जजों के बारे में जिन्होंने अयोध्या मामले पर सुनाया ऐतिहासिक फैसला…

1. जस्टिस रंजन गोगोई

बीते साल 2 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायर होने के जस्टिस रंजन गोगोई ने CJI पद संभाला। नॉर्थ ईस्ट से देश के चीफ जस्टिस पद पर पहुंचने वाले गोगोई पहले व्यक्ति थे। गोगोई कांग्रेस पार्टी से असम के मुख्यमंत्री रहे केशव गोगोई के बेटे हैं।

जस्टिस रंजन गोगोई के नाम शामिल बड़े फैसलों में असम का एनआरसी रजिस्टर मामला, जाट समुदाय को पिछड़ा स्टेटस नहीं देना शामिल है। वहीं सरकार के सामने एतिहासिक प्रेस कांफ्रेंस करने वाले 4 जजों में गोगोई भी शामिल थे।

2. जस्टिस शरद अरविंद बोबडे

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके जस्टिस बोबडे आने वाले समय में देश के अगले चीफ जस्टिस के पक्के दावेदार हैं। इनके नाम आधार कार्ड मामला, पटाखों को बैन करने का फैसला जैसे बड़े फैसले शामिल हैं। इसके अलावा 2018 में हुए कर्नाटक चुनाव में किसी को बहुमत नहीं मिलने से बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद दिलवाने की बात चली ऐसे में कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई जिसकी सुनावाई रात के 2 बजे हुई। यहां बोबडे मुख्य बैंच में शामिल थे।

3. न्यायमूर्ति अशोक भूषण-

जस्टिस अशोक भूषण का जन्म 5 जुलाई 1956 के हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1979 में कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 6 अप्रैल 1979 को बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के साथ दाखिला लेकर वकालत से अपने करियर की शुरुआत की। इलाहाबाद हाइकोर्ट में एक वकील के रूप में अभ्यास करते हुए, उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसे विभिन्न संस्थानों के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया। 24 अप्रैल 2001 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में उच्चतर न्यायिक सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया। 10 जुलाई को जस्टिस अशोक भूषण को केरल हाइकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 13 मई 2016 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

4-न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर

जस्टिस एस अब्दुल नजीर का जन्म 5 जनवरी 1958 को हुआ था। इन्होंने एसडीएम लॉ कॉलेज मंगलुरु से कानून की डिग्री हासिल की थी। उन्होंने 1983 में एक वकील के रूप में बेंगलुरु में कर्नाटक उच्च न्यायालय में अभ्यास किया। मई 2003 में, उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसी कोर्ट में बाद में वह स्थायी हो गए। कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए फरवरी 2017 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।

 

5. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड इससे पहले इलाहाबाद और बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस पद पर सेवाएं दे चुके हैं। इनके पिता जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड देश के 16वें और सबसे लंबे समय तक रहने वाले चीफ जस्टिस रहे।

हॉर्वर्ड लॉ स्कूल, येल लॉ स्कूल , यूनिवर्सिटी ऑफ ऑस्ट्रेलिया और यूनिवर्सिटी ऑफ विट वाटर्सरैंड से पढ़ने के बाद कुछ समय लेक्चरर भी रहे। इनके नाम भी कई अहम फैसले रहे हैं।

  • समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाना
  • इच्छा मृत्यु की वसीयत (लिविंग विल) को स्वीकार करने वाला फैसला
  • सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के जाने पर अहम फैसला
  • अर्बन नक्सल और भीमाकोरेगांव मामला
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