अगर आप शेरों-शायरी के तगड़े शौकीन हैं तब तो गालिब, जॉन एलिया जैसे नामों से वास्ता पड़ा ही होगा और नहीं भी हैं तो कभी ना कभी अपने दिल के जज्बात या आसानी से ना कही जाने वाली कोई बात….के लिए तो गालिब, एलिया को गूगल सर्च किया ही होगा।
पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया एक ऐसी जगह बन गई है जहां उर्दू और हिंदी के लिए बड़ा ही अदब अंदाज दिखाया जा रहा है। आगे की बात वो ‘कभी ना कभी’ वाले लोगों के लिए ही है जिन्होंने ना जानते हुए भी पता नहीं कितनी बार गालिब और जॉन एलिया का नाम हर कहीं चिपका दिया।
हमारे व्हाट्सएप पर ना जाने कितने मैसेज, कितने फेसबुक पेज पर स्टेट्स और वो दो लाइन वाली शायरियां, ना जाने कहां-कहां गालिब और एलिया जैसी महान आत्माओं का नाम मोटे अक्षरों में लिखा मिल जाएगा। हालांकि वो शायरी किसकी है ये जानने का कोई इच्छुक नहीं है, बस मौके की नजाकत पर वो लाइन फिट बैठती है।
आज सोशल मीडिया से लेकर गालिब तक ये बातें इसलिए क्योंकि हाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब दे रहे थे, तभी उन्होंने कांग्रेस नेता गुलाब नबी आजाद की ओर इशारा करते हुए मिर्जा गालिब को याद किया।
पीएम मोदी ने आजाद और विपक्ष को घेरते हुए कहा कि विकास होने के बावजूद इन्हें सब कुछ धुंधला दिखाई दे रहा है, ऐसे में इस चश्मे को उतारकर देखने की जरूरत है। इसी बीच उन्होंने गालिब का नाम लेते हुए अपनी बात के साथ हिंदी-उर्दू की दो लाइनें बोली। पहले वो दो लाइन पढ़ लीजिए।
“ताउम्र ग़ालिब ये भूल करता रहा,
धूल चेहरे पर थी और मैं आइना साफ़ करता रहा.”
हां, तो अब इसमें दिक्कत क्या है ?
अब पीएम मोदी तो ये शेर बोलकर जापान निकल लिए पीछे से सोशल मीडिया पर कुछ शायरी एक्सपर्ट एक्टिव हो गए और कहा ये शेर गालिब का नहीं है। यहां तक कि मशहूर फिल्मकार और गीतकार जावेद अख्तर ने भी ट्वीट कर बताया कि ये शेर गालिब नहीं बल्कि ‘सोशल मीडिया’ वाले गालिब का है।
दिल थाम कर आगे पढ़े, क्योंकि हम यह साबित नहीं करना चाहते कि पीएम मोदी ने कोई संगीन अपराध कर दिया है।
इससे पहले भी कुछ लोगों ने गालिब के नाम से शेर चिपकाए !
ऐसा बिलकुल नहीं है कि पीएम मोदी वो पहले आदमी है जिन्होंने यह गलती की है, अब ग़ालिब के नाम के साथ कोई भी शेर जोड़ देने की परंपरा काफी पुरानी हो गई है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भी 2012 में विधानसभा में बजट पेश के दौरान यही शेर गालिब का बताकर बोला था।
Umra bhar Ghalib yahi Bhool Karta raha, Dhool Chehre pe thi, aur Aina saaf karta raha. Mirza Galib.
— Mahesh Bhatt (@MaheshNBhatt) November 30, 2012
तो उसी साल नवंबर में फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट ने भी शेर गालिब के नाम से ट्वीट किया।
सोशल मीडिया वाले गालिब ?
19वीं सदी के महान उर्दू शायर ग़ालिब मिर्जा असदुल्ला बेग खान, जो “ग़ालिब” के नाम से जाने गए। गालिब अपनी मौत के 150 साल बाद भी आज लोगों की जुबां पर छाए हुए हैं। मिर्जा ग़ालिब के शेर और शायरी का कलेक्शन दीवान-ए-ग़ालिब में है।
The sher that the prime minister saheb has quoted in his Rajya Sabha speech is wrongly attributed to Ghalib in the Social media . Actually both the lines are not even in the proper meter .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) June 26, 2019
सोशल मीडिया या कहीं भी लोगों को कोई उर्दू शेर और शायरी दिखाई देता है, जिसे लिखने वाले का नाम पता नहीं होता तो लोग उसके साथ गालिब का नाम लगा देते हैं।
गालिब की शायरी में एक अलग तरह का स्केल और उर्दू शब्दावली होती है, एक बार में पढ़ने पर शेर समझ में ना आए तो भी लोग उसे गालिब का बता देते हैं, ऐसे ही सोशल मीडिया वाले गालिब पैदा होते हैं। इसे इतर उस शेर को वाकई में किसने लिखा है इससे मतलब रखने वाले बहुत कम ही लोग मिलते हैं।