क्या है NSSO की रिपोर्ट, क्यों इसको लेकर खलबली मची हुई है?

Views : 6665  |  0 minutes read
unemployment

NSSO की एक रिपोर्ट ने फिलहाल हलचल मचा रखी है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में भारत की बेरोजगारी 6.1 प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी। इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-12 और 2017-18 के बीच बेरोजगारी तीन गुना तक बढ़ गई है।

अपनी रिलीज़ से पहले ही इस रिपोर्ट को लेकर विवाद शुरू हो चुके थे। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) के एक्स चेयरमेन सहित दो सदस्यों ने इस सप्ताह इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि सरकार ने इस रिपोर्ट को जारी करने से उनको रोक दिया। रिपोर्ट की मानें तो बेरोजगारी दर 1970 के बाद से सबसे ज्यादा है। सरकार ने लीक हुई रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया भी दी है। नीति आयोग के अध्यक्ष राजीव कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस करके बताया है कि ये कोई फ़ाइनल रिपोर्ट नहीं थी।

unemployment
unemployment

क्या है रिपोर्ट में-

बेरोजगारी की समस्या को काफी समय से भारत में हाइलाइट किया जाता रहा है। आंकड़ों की जब भी बात आती तो सरकार के पास इसका जवाब होता नहीं था। लेकिन अब जब ये रिपोर्ट सामने आई है तो पता चलता है कि बेरोजगारी भारत में बड़ी समस्या बनती जा रही है।

भारत खुद की युवा शक्ति पर हर दम जोर देता आया है और कहता आया है कि यहां की 65 प्रतिशत आबादी 35 उम्र के नीचे है। ऐसे में यह रिपोर्ट बड़े सवाल खड़े करती है। सर्वे में बताया गया है कि हर पांच में से एक के पास नौकरी नहीं है। राष्ट्रीय स्टैटिस्टिक्स कमीशन ने इस रिपोर्ट को पास कर दिया था।

मौजूदा मोदी सरकार ने चुनावों के दौरान बेरोजगारों को रोजगार देने का वादा किया था और कहा था कि हर साल वे एक करोड़ रोजगार पैदा करेंगे। लेकिन अब जब रिपोर्ट सामने आई है तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

जहां मोदी रोजगार के नाम पर वोट मांग रहे थे वहां अब रिपोर्ट्स कुछ और बयां कर रही हैं। इसी साल जनवरी के शुरूआती दिनों में सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनोमी नाम की एक निजी संस्था ने भी ऐसा ही कोई खुलासा किया था। जिसमें कहा गया कि भारत में बेरोज़गार लोगों की संख्या बढ़ रही है और 2018 में क़रीब एक करोड़ 10 लाख लोगों की नौकरियां गई है।

क्या हो सकता है इसका कारण?

narendra_modi
narendra_modi

ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी अभी आई है। बेरोजगारी हमेशा से ही भारत की एक बड़ी समस्या रही है। पिछले कुछ सालों में ये बढ़ी है ऐसा रिपोर्ट्स से साफ होता है। अर्थव्यवस्था का भी इसमें एक बड़ा रोल है। नौकरशाहों के पास ऐसी कोई बड़ी स्कीम नहीं है जिससे रोजगार बढ़ाए जा सकें। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में नोटबंदी और जीएसटी लागू किया।

नोटबंदी के कारण बड़ा जोखिम सामने आया। छोटे कारोबार खत्म हो गए और लोगों को इससे बड़ी दिक्कत भी हुई। अभी तक नोटबंदी का कोई बड़ा फायदा तक दर्ज नहीं किया गया है। सरकार खुद नोटबंदी को लेकर अपने भाषण बदलते आई है। नोटबंदी के कारण रोजगार को एक बड़ी चोट पहुंची। इसके अलावा जीएसटी का भी यही हाल रहा। ठीक से लागू नहीं करने के कारण कई छोटे व्यवसाय नष्ट हो गए।

क्या है NSSO-

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO)
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) एक महानिदेशक की अध्यक्षता में संचालित होता है। इसके द्वारा पूरे इंडिया में बड़े पैमाने पर सैंपल सर्वे किए जाते हैं। हर तरह की फील्ड के सर्वे इस संस्था द्वारा किए जाते हैं। मुख्य रूप से विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विषयों, एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज (एएसआई) आदि पर पूरे देश में हर घर से सर्वे करके डेटा कलेक्ट किया जाता है।

इनके अलावा, एनएसएसओ ग्रामीण और शहरी कीमतों पर डेटा कलेक्ट करता है और फसल आंकड़ों के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी भी क्षेत्र की निगरानी और राज्य एजेंसियों के फसल आकलन सर्वेक्षण के माध्यम से ऐसा किया जाता है।

NSSO के चार विभाग हैं:

सर्वे डिजाइन और अनुसंधान प्रभाग (एसडीआरडी): कोलकाता में स्थित यह प्रभाग, सर्वे की तकनीकी योजना, सर्वे के लिए कोन्सेप्ट तैयार करना, सैंपल डिजाइन करना, जांच इनक्वायरी की डिजाइन तैयार करना, सर्वे से मिले रिजल्ट के डेटा को फोर्म करना संभालता है।

फील्ड ऑपरेशंस डिवीजन (FOD): डिवीजन, जिसका मुख्यालय दिल्ली / फरीदाबाद में है और छह क्षेत्रीय कार्यालयों, 49 क्षेत्रीय कार्यालयों और 118 उप-क्षेत्रीय कार्यालयों का एक नेटवर्क है जो सर्वे के प्राथमिक आंकड़ों का कलेक्शन करता है।

डेटा प्रोसेसिंग डिवीजन (DPD): इसका मुख्यालय कोलकाता में है और इसके अलावा अलग अलग जगहों पर 6 डेटा प्रोसेसिंग केंद्र हैं। सर्वे में जो डेटा सामने आता है उसका सैंपल सेलेक्शन होता है, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, सर्वे और सैंपल का सत्यापन भी इसी विभाव में किया जाता है।

कोर्डिनेशन और पब्लिकेशन डिवीजन (CPD): नई दिल्ली में स्थित यह डिवीजन, NSSO के सभी डिवीजन्स की गतिविधियों का कोर्डिनेशन करता है। यह एनएसएसओ की द्वि-वार्षिक पत्रिका भी निकालता है, जिसका शीर्षक “सर्वक्षण” है। और एनएसएसओ द्वारा किए गए विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षणों के परिणामों पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित करता है।

COMMENT