एक नई क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में है जिसका नाम है लिब्रा। आपको बता दें कि इस क्रिप्टोकरेंसी को फेसबुक द्वारा 2020 तक लांच किया जाएगा।
फेसबुक अब डिजिटल करेंसी मार्केट में अपना हाथ आजमाने जा रही है। लेकिन इससे प्राइवेसी से संबंधित सवाल खड़े होते हैं। पहले क्रिप्टोकरेंसी को समझ लेते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है
इसको डिजिटल करेंसी कहा जा सकता है जिसे उपयोगकर्ता कई उपलब्ध डिजिटल वॉलेट में से किसी एक में खरीदते हैं और स्टोर करते हैं और इसका उपयोग किसी भी नेटवर्क पर खरीदारी और ट्रांजेक्शन के लिए किया जा सकता है जो किसी बैंक या सरकार द्वारा कंट्रोल नहीं होते हैं। बिटकॉइन का नाम तो सुना ही होगा वो अपने आप में एक फेमस क्रिप्टोकरेंसी है।
क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन नाम की एक तकनीक द्वारा संचालित होती है जो एक खुले अकाउंट की तरह कार्य करती है जो वास्तविक समय में अपडेट हो जाती है और सर्विस और ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड रखती है।
ब्लॉकचेन नेटवर्क पर प्रत्येक लेनदेन संरक्षित होता है, और इसको रिवर्स करना नामुमकिन होता है। क्योंकि डेटा एन्क्रिप्ट किया गया है इसलिए क्रिप्टोकरेंसी को सुरक्षित और अनाम माना जाता है। एक डिजिटल वॉलेट से, हालांकि स्टोर किए गए सिक्कों या करेंसी को चुराया जाना संभव है।
अब बात करते हैं लिब्रा की। इसके लिए फेसबुक ने एक वॉलेट ऐप की घोषणा की जिसका नाम कैलीब्रा है। इसको व्हाट्सएप और मैसेंजर में बनाया जाएगा। जिसके बाद यूजर्स लिब्रा करेंसी स्टोर और खरीद सकेंगे।
क्या लिब्रा अलग है?
अधिकांश क्रिप्टोकरेंसी की वेल्यू जैसे कि बिटकॉइन की अगर बात करें तो इनकी वेल्यू वास्तविक जो करेंसी होती है उसके हिसाब से बदलती रहती है।
लिब्रा को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि ये स्टेबल रहे बदले नहीं ताकि यूजर्स को इस पर कॉन्फिडेंस रहे। इस स्टेबिलिटी को बनाए रखने के लिए अलग से सपोर्ट किया जाएगा और रिजर्व ऐसेट यानि पैसों का इस्तेमाल किया जाएगा।
इस एसेट में डॉलर, पाउंड जैसी नॉर्मल करेंसी शामिल हैं। लिब्रा की वेबसाइट पर जानकारी दी गई है कि क्रिप्टोकरेंसी को स्थिर रखने के लिए सेंट्रल बैंको से कम समय के लिए सरकार द्वारा समर्थन दिया जाएगा। इस करेंसी को सरकार समर्थित मुद्राओं एवं प्रतिभूतियों (करंसीज एंड सिक्यॉरिटीज) का समर्थन प्राप्त होगा।
दुनिया भर में कहीं भी लेन-देन चार्जेस के बिना उपयोग के लिए “ग्लोबल मुद्रा” के रूप में लिब्रा की योजना बनाई गई है। यह उन लोगों को टारगेट करेगा, जो दुनिया भर में 1.7 बिलियन की संख्या में हैं। हालांकि, एक सवाल जो बना हुआ है, वह यह है कि औपचारिक बैंकिंग के बिना कोई व्यक्ति कैसे और क्यों क्रिप्टोकरेंसी की ओर जाएगा।
भारत पर लगा प्रश्नचिन्ह
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स इन्वेस्टर्स एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) प्राधिकरण ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का पक्ष लिया है। IEPF अथॉरिटी के सीईओ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि जब निवेशक सुरक्षा की बात करते हैं तो हमें कुछ चीजों के खिलाफ एक स्टैंड लेना होगा, चाहे वह पोंजी स्कीम हो। और हम सोचते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी एक पॉन्जी स्कीम है और इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इस तरह के किसी भी प्रतिबंध से लिब्रा की पहुंच सीमित होगी।
लिब्रा मॉडल
लिब्रा को जेनेवा स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था लिब्रा एसोसिएशन द्वारा कंट्रोल किया जाएगा। लिब्रा के लिए अन्य प्रमुख नाम में भारत की उबेर, वीज़ा, लिफ़्ट, मास्टरकार्ड, पेपल और पेयू हैं। एसोसिएशन के अब 28 सदस्य हैं और 2020 के पहले छमाही तक 100 संस्थापक सदस्यों को इसके अंदर टारगेट किया जाएगा। कैलीब्रा एक अलग कंपनी है।
सुरक्षा की सोच
विभिन्न समाचार एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर के नियामकों, सांसदों और सरकारी अधिकारियों ने महत्वपूर्ण बयान जारी किए। अमेरिका में हाउस फाइनेंशियल सर्विसेज कमेटी के प्रमुख मैक्सीन वाटर्स ने कहा कि फेसबुक अब एक क्रिप्टोकरेंसी बनाने की योजना बना रहा है और अपने अनियंत्रित विस्तार को जारी रख रहा है। वाटर्स और सीनेटर शेरोड ब्राउन, जो सीनेट बैंकिंग समिति में हैं, दोनों ने परियोजना को बारीकी से जांचने के लिए वित्तीय नियामकों को बुलाया।
फ्रांस के वित्त मंत्री ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी और उन्होंने जुलाई के मध्य में G7 देशों के केंद्रीय बैंक प्रमुखों से इस परियोजना पर एक रिपोर्ट लिखने के लिए कहा है।
फेसबुक ने क्या कहा
एक बयान में फेसबुक ने कहा कि हम सभी कानूनी लोगों के सवालों के जवाब देने के लिए तैयार हैं ताकि इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सके।
आगे फेसबुक ने कहा कि यह उपयोगकर्ता की निजता का सम्मान करेगा कैलिब्रा फेसबुक से अलग एक सहायक कंपनी होने के नाते डेटा फेसबुक के साथ शेयर नहीं किया जाएगा। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने लिखा कि फर्जी उपयोग को रोकने के लिए कैलिब्रा के पास इन जोखिमों से निपटने के लिए अलग से एक टीम होगी। फेसबुक ने कहा कि अगर कोई कैलीबरा वॉलेट से अपने लिब्रा के कोइन खोता है, तो उन्हें रिफंड मिलेगा। लिब्रा के लिए, एक नई प्रोग्रामिंग भाषा बनाई जा रही है, जिसे मूव कहा जाता है और वह अधिक सुरक्षित और प्राइवेट है।
स्टोर में क्या है?
करेंसी: लिब्रा एक डिजिटल मुद्रा होगी जिसमें बैंक जमा सहित वास्तविक परिसंपत्तियों का भंडार होता है। फेसबुक कीमतों में स्थिरता का टारगेट रखेगा और इस बात पर जोर देगा कि गोपनीयता की चिंताओं को दूर किया जाएगा।
वॉलेट: कैलिब्रा लाइब्रस को स्टोर करेगा। यह स्टैंडअलोन ऐप के रूप में उपलब्ध होगा, मैसेंजर और व्हाट्सएप में ये इसको उपलब्ध करवाया जाएगा।