पिछले कुछ सालों से सीएजी यानि कैग की रिपोर्ट हर दूसरे दिन मीडिया की चर्चाओं में रहती है। कैग की रिपोर्ट कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने के साथ लाखों करोड़ों रुपये के घोटालों को उजागर करने के साथ सरकार और उसके अधिकारियों के काम पर एक बड़ा सवालिया निशान लगाती है।
कोयला ब्लॉक आवंटन, अल्ट्रा पावर प्रोजेक्ट्स और जीएमआर रन दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर राज्यसभा के समक्ष पेश की गई हालिया कैग रिपोर्ट ने लोगों के विश्वास को हिलाकर रख दिया। लोगों को यह समझ आया कि उनके टैक्स के रूप में दिए जाने वाले पैसे को सरकार किस तरह खर्च करती है।
ऐसे में बीते कल राफेल सौदे पर आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे सामने हैं, इस फैसले में कैग की रिपोर्ट ही फैसले का फाउंडेशन है। इसलिए हमारे लिए यह जानना महत्वपूर्ण हो जाता है कि सीएजी (कैग) क्या है, यह कैसे काम करता है और इसकी क्या सीमाएं हैं ?
कैग क्या है?
भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) भारतीय संविधान के द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के सभी खर्चों की ऑडिट करता है। इसके अलावा सरकारी स्वामित्व वाली सभी कंपनियों की ऑडिट भी कैग ही करता है। नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक यानि कैग का हैड भारतीय लेखा विभाग का भी प्रमुख होता है।
इसके अलावा कैग देश के सभी टैक्सपेयर के हितों को ध्यान में रखते हुए देश की समस्त वित्तीय प्रणाली को कंट्रोल करता है। सरकारी खजाने में पैसा कहां से आ रहा है और कितना पैसा खर्च हो रहा है और इस पैसे का लाभ किसे मिल रहा है या जिसे मिलना चाहिए उसे मिल रहा है या नहीं, इन सभी मसलों पर कैग निगरानी रखता है।
कैग का रोल
कैग का सबसे मुख्य काम केंद्र और राज्य के सभी सरकारी विभागों के अकाउंट्स की ऑडिट करना होता है। इन विभागों में रेलवे, डाक, टेलीकॉम जैसे विभाग होते हैं। इसके अलावा सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों पर भी कैग नजर रखता है।
कैसे करता है काम?
कैग की तरफ से दो ऑडिट होती है- रेग्युलेरिटी ऑडिट और परफॉर्मेंस ऑडिट।
रेग्युलेरिटी ऑडिट- फाइनैंशल स्टेटमेंट का पूरा ऐनालिसिस अधिकारी करते हैं।
परफॉर्मेंस ऑडिट- इस ऑडिट में यह पता किया जाता है कि जिस सरकारी प्रोग्राम को शुरू किया गया उसमें पैसे लगाने का क्या मकसद था और क्या यह खर्च सही दिशा में किया गया है।
कैग स्वतंत्र बॉडी है या नहीं?
कैग भारत के संविधान की तरफ से बनाई गई एक स्वतंत्र बॉडी है और इसे भारत सरकार के अधीन से बाहर रखा गया है। कैग की नियुक्ति देश का राष्ट्रपति करता है और सुप्रीम कोर्ट के जज के जैसी ही इनको हटाने की प्रक्रिया होती है। कैग के ऑफिस के खुद के खर्चे कंसॉलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया से लिए जाते हैं।
कैग का रिपोर्ट में क्या होता है?
कैग हर साल अपनी ऑडिट रिपोर्ट संसद और विधानसभाओं की समितियों जैसे पब्लिक अकाउंट्स कमेटी और कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग्स को सबमिट कर देता है। यह कमेटियां रिपोर्ट को चैक करती है। इसके बाद कैग की रिपोर्ट को संसद में चर्चा के लिए पेश किया जाता है जहां आगे की कार्रवाई होती है।