बिहार : क्या है “चमकी बुखार” जिसकी तबाही से अब तक 56 मासूम बन गए काल का ग्रास !

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बोर्ड परीक्षाओं और खस्ताहाल राजनीतिक उठापटक के लिए चर्चा में रहने वाला बिहार इन दिनों कुछ अलग वजहों से मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है। जी हां, उत्तरी बिहार का मुजफ्फरपुर जिला इन दिनों एक खास तरह की बीमारी “चमकी बुखार” या AES (Acute encephalitis syndrome) की चपेट में है जिससे अब तक 56 से ज्यादा मासूम काल का ग्रास बन चुके हैं।

यह जानलेवा बीमारी केवल 15 साल से कम उम्र के बच्चों को मौत की नींद सुला रही है। सैकड़ों की तादाद में अस्पताल बीमार बच्चों से भरे पड़े हैं। हर साल इस बीमारी की मार बिहार के बच्चों पर पड़ती है जिसमें अधिकांश 1 से 7 साल के बच्चे शिकार होते हैं।

क्या है चमकी बुखार ?

चमकी बुखार के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि यह एक तरह की दिमागी बुखार है, जिसके वायरस सुबह के समय बच्चों के शरीर पर हमला करते हैं। बच्चों के शरीर में जब भी हाइपोग्लाइसीमिया या​नि शुगर की कमी होती है तब दिमागी बुखार उन्हें अपनी चपेट में ले लेती है। यह धीरे-धीरे बढ़ती है और बच्चे बेहोशी की हालत में आ जाते हैं।

क्यों फैल रही है चमकी बुखार?

चमकी बुखार के रातों-रात फैलने पर डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी के बढ़ने के साथ-साथ वातावरण में ह्यूमिडिटी का स्तर लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण बच्चों या किसी के भी शरीर में पानी की कमी हो जाती है।

चमकी बुखार का कैसे पता करें

सिरदर्द इस बीमारी के सबसे बड़ा लक्षण माना गया है। इसके अलावा कुछ लक्षण हैं जिनसे आप इस बीमारी का पता लगा सकते हैं।

मांसपेशियों और ज्वांइट्स में दर्द होना

कमजोरी आना

दिमाग संतुलित बिगड़ना

बोलने और सुनने में दिक्कत होना

उल्टी या जी घबराना।

शरीर में जकड़न के साथ चिड़चिड़ापन आना।

बचाव के लिए क्या कर सकते हैं ?

डॉक्टरों का कहना है कि बचाव के लिए सबसे पहले बच्चों में पानी की कमी ना होने दे। इसके अलावा गर्मी से बचने के लिए पानी के अलावा बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तरल दें। वहीं डॉक्टरों ने बच्चों को ज्यादा देर तक भूखा ना रखने की सलाह दी है।

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