कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन जारी है और कई प्रवासी श्रमिक अलग अलग राज्यों में फंसे हुए हैं। इन श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने के लिए रेलवे ने सरकार के निर्देश कुछ स्पेशल ट्रेन संचालित की हैं लेकिन रेलवे की ओर से मजदूरों से कथित तौर पर पैसे लिए जाने के आरोपों के बीच अब केंद्र सरकार ने इस मामले में बयान दिया है।
सरकार की ओर से आया ये बयान
संवाददाताओं की ओर से पूछे गए एक सवाल पर स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बयान दिया है कि कुछ मामलों में राज्यों के आग्रह पर विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति दी गई और भारत सरकार व रेलवे ने मजदूरों से टिकट के पैसे लेने के बारे में कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के परिवहन पर 85 फीसदी खर्च को रेलवे उठा रही और बाकी 15 प्रतिशत खर्चा राज्यों को उठाना है और एक-दो राज्यों को छोड़कर फंसे हुए ऐसे प्रवासी मजदूरों की यात्रा प्रक्रिया का समन्वय राज्य सरकारें ही कर रही हैं।
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सिर्फ महाराष्ट्र सरकार ही नहीं कर रही टिकट भुगतान
मिली जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार प्रवासी मजदूरों की रेल यात्राओं के लिए अपने हिस्से का 15 प्रतिशत भुगतान नहीं कर रही है बल्कि श्रमिकों से पैसे ले रही है। हालांकि इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राउत ने सीएम उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर मांग की है कि प्रवासी मजदूरों की यात्रा का खर्चा राज्य सरकार ही वहन करे। वहीं दूसरी तरफ राजस्थान, तेलंगाना, झारखंड आदि राज्यों ने प्रवासी श्रमिकों की रेल यात्रा के लिए भुगतान कर रही है।
सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रख चल रही हैं ट्रेनें
रेलवे की ओर से अब तक प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य तक पहुंचाने के लिए 34 ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं और आगे भी चलाई जा सकती हैं। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पूरा पालन किया जा रहा है और हर कोच में बर्थ खाली रखा गया है। इसके अलावा मजदूरों को नि:शुल्क भोजन व बोतल बंद जल भी दिया जा रहा है।