कौन नहीं जानता मानव व पर्यावरण के लिए वायु प्रदूषण कितना जानलेवा है, पर करे भी क्या अब मजबूरी बन गई है विकास के लिए। वायु प्रदूषण के चलते हर वर्ष अनेक बीमारियों से लाखों लोगों की मौत हो रही है। जहां शहरों में यातायात के साधनों से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है जिसके संपर्क में जो लोग सीधे आते हैं वे तो वायु प्रदूषक तत्वों से प्रभावित होते हैं, ही साथ ही गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे भ्रूण पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
हाल में रटगर्स में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि वायु प्रदूषण में मौजूद अनेक आंखों से न दिखाई देने वाले सूक्ष्म कण गर्भवती महिलाओं द्वारा श्वसन के दौरान ग्रहण किए जाते हैं जो गर्भ में पल रहे भ्रूण के हृदय विकास को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जिसकी वजह से जन्म के समय उसमें विकृति पैदा हो सकती है।
जर्नल कार्डियोवास्कुलर टॉक्सिकोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में पाया गया कि गर्भवती महिला में पहले तीन महीनों में और अंत के तीन महीनों का समय सबसे महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इस समय प्रदूषक तत्व सबसे ज्यादा मां और भ्रूण के कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को प्रभावित करते हैं।
शोध के अध्ययन के अनुसार वैज्ञानिकों ने बताया कि एक मां सांस लेते समय जो वायु ग्रहण करती है वह उसके परिसंचरण तंत्र को प्रभावित करता है। यह भ्रूण के लिए पर्याप्त रक्त प्रवाह की आपूर्ति करने के लिए लगतार बढ़ती जाती है। वायु में मौजूद ये प्रदूषक तत्व रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकते हैं। जिसके कारण भ्रूण तक पर्याप्त ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की पहुंच में ये प्रदूषक बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भ्रूण के विकास में देरी हो सकती है। यह सामान्य गर्भावस्था के दौरान कई समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे अंतर्गर्भाशयी भ्रूण के विकास में बाधा।
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यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर फोबे स्टेपलटन ने बताया कि जो महिलाएं गर्भवती हैं वे उन जगहों पर जाने से परहेज कर सकती है जहां वायु प्रदूषण ज्यादा हो। इसके साथ स्मॉग के संपर्क में भी नहीं आना चाहिए। इन सबके साथ ही घर की वायु की भी गुणवत्ता उच्च रखनी चाहिए।
अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि गर्भवती महिलाएं, गर्भावस्था के दौरान वाले दिनों में और प्रजनन उपचार से गुजर रही हैं, उन्हें जहां अधिक वायु प्रदूषण है ऐसे क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए या अपने जोखिम को कम करने के लिए उच्च-स्मॉग के दिनों में अंदर रहना चाहिए।
चुहिया पर किया शोध
शोधकर्ताओं ने अपने शोध के लिए गर्भवती चुहिया को लिया था। इस अध्ययन के दौरान देखा गया कि कैसे गर्भवती चुहिया और उनके भ्रूणों की संचार प्रणाली को वायु प्रदूषण में पाया जाने वाला सूक्ष्म प्रदूषक तत्व टाइटेनियम डाइऑक्साइड एरोसोल के प्रदर्शन से प्रभावित हुई चुहिया के तीसरे माह के दौरान उसके भ्रूण को नुकसान पहुंचाता है। प्राप्त परिणामों की तुलना साफ हवा में रखी गई गर्भवती चुहिया से मिले परिणामों से की गई। वैज्ञानिकों ने पाया कि प्रदूषण के संपर्क में पहने वाले भ्रूण की संचार प्रणाली विशेष रूप से उसकी मुख्य धमनी और नाभि शिरा पर प्रभावित होती है। इसके साथ मां के रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने पर भ्रूण का आकार भी छोटा हो जाता है।
2025 तक अतिसूक्ष्म टाइटेनियम डाइऑक्साइड कणों का वार्षिक वैश्विक उत्पादन 2.5 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान है। वायु प्रदूषण में पाए जाने वाले बहुत छोटे कणों का प्रतिनिधित्व करने के अलावा, टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग आमतौर पर सनस्क्रीन और फेस पाउडर सहित कई व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में किया जाता है।