8 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ है और इस दिन एयर इंडिया देश के एविएशन सेक्टर में एक नया रिकॉर्ड बनाने जा रही है। इस दिन महाराजा की यानि एयर इंडिया की 58 घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट्स को पूरी तरह से महिलाएं ऑपरेट करेंगी। इस रिकॉर्ड के लिए इस दिन इन तमाम हवाई जहाजों में पायलट, क्रू स्टाफ, इंजिनियर्स, ग्राउंड हैंडलिंग स्टाफ और अन्य स्टाफ महिलाएं ही होंगी। इन उड़ानों में 15 घंटे की नॉन स्टॉप फ्लाइट दिल्ली से सैन फ्रांसिस्को भी शामिल होगी।
इसके बारे में एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एयर इंडिया 58 ऑल फीमेल फ्लाइट मूवमेंट करेगी। इनमें 40 घरेलू और 18 अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट सम्मिलित होंगी। अंतर्राष्ट्रीय सेक्टर की यह तमाम फ्लाइट्स यूरोपियन कंट्री और अमेरिका के विभिन्न शहरों के लिए यहां से टेक ऑफ करेंगी। इनमें 26 दिल्ली के इन्दिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ेंगी।
इस प्रकार के प्रयोग इससे पहले पिछले वर्ष एयर इंडिया ने महिला दिवस पर भी किया था तब 30 फ्लाइट के टेक ऑफ महिला पायलटों के हाथों में दिए थे। अधिकारी ने बताया कि इस दिन जितने भी टेक ऑफ होंगे। उनमें महिला यात्रियों को गुलाब का फूल भी दिया जाएगा।
एयर इंडिया के अधिकारी का कहना है कि उनके पायलट बेड़े में महिला पायलट की इतनी संख्या है जिससे वह इतनी फ्लाइट्स के टेक ऑफ करा सकते हैं। यह सब ट्रेंड पायलट हैं। अधिकारी का कहना है कि वह इस बात की संभावना भी तलाश कर रहे हैं कि क्या इतनी बड़ी संख्या में दुनिया में कहीं और भी किसी अन्य विदेशी एयरलाइंस ने एक दिन में महिला स्टाफ के हाथों में फ्लाइट्स दी हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी अप्लाई किया जा सकता है।
एयर इंडिया की स्थापना और उसका इतिहास
एयर इंडिया की स्थापना ब्रिटिश हुकूमत के शासन काल में अप्रैल 1932 में उद्योगपति जेआरडी टाटा ने की थी। इसका प्रारम्भिक नाम टाटा एयरलाइंस था। टाटा एयरलाइंस की पहली व्यावसायिक उड़ान 15 अक्टूबर को भरी थी। वे खुद पायलट थे। उन्होंने सिंगल इंजन वाले ‘हैवीलैंड पस मोथ’ हवाई जहाज को अहमदाबाद से होते हुए कराची से मुंबई ले गए थे।
इस पहली उड़ान में सवारियां नहीं थीं बल्कि 25 किलो पत्र थे। फिर नियमित रूप से डाक लाने ले-जाने का सिलसिला शुरू हुआ। टाटा एयरलाइंस को कोई ब्रिटिश सरकार की ओर से कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई थी।
प्रारम्भिक दौर में टाटा एयरलाइंस का कार्यालय मुंबई के जुहू के पास स्थित एक मिट्टी के मकान में था। वहीं मौजूद एक मैदान को ‘रनवे’ के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।
मात्र दो हवाई जहाज से शुरू की कंपनी
टाटा ने ‘टाटा एयरलाइंस’ कंपनी की शुरूआत दो छोटे सिंगल इंजन वाले हवाई जहाज़, दो पायलट और तीन मैकेनिकों के साथ की थी। टाटा एयरलाइंस का 1933 पहला व्यावसायिक वर्ष रहा और इस वर्ष ‘टाटा संस’ की दो लाख की लागत से स्थापित कंपनी ने 155 यात्रियों और लगभग 11 टन डाक को पहुंचाने का काम किया। टाटा एयरलाइंस को 29 जुलाई 1946 को ‘पब्लिक लिमिटेड’ कंपनी का रूप दिया गया और उसका नाम बदलकर ‘एयर इंडिया लिमिटेड’ रखा गया। भारत की आजादी के बाद ही वर्ष 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागेदारी लेकर कंपनी को विस्तार दिया।
1953 में सरकार ने एयर कॉरपोरेशन ऐक्ट पारित किया, तो इसी के साथ एअर इंडिया के अधिकांश शेयर उसके पास आ गए। ठीक इसी वक्त (उसी कानून के तहत) सरकार ने इंडियन एयर लाइन्स का गठन किया।
‘महाराजा’ है एयर इंडिया का शुभंकर
‘महाराजा’ वैसे तो भारतीय इतिहास में राजाओं को कहा जाता था, परंतु जब एयर इंडिया को कोई नाम नहीं सूझा तो अपने शुभंकर को ‘महाराजा’ कहा। जो कुलीन वंश का प्रतीक न होकर एक सामान्य व्यक्तित्व है।
महाराजा के बारे में कल्पना करने वाले बॉबी कूका ने कहा है कि उसका रक्त नीला नहीं है (वह किसी कुलीन वंश से नहीं है)। वह एक कुलीन लग सकता है, लेकिन वह कुलीन नहीं हैं।’
यह सुंदर जाना पहचाना शुभंकर एयर इंडिया में पहली बार 1946 में दिखाई दिया था, जब एयर इंडिया के व्यापार निदेशक बॉबी कूका और जे. वॉल्टर थॉम्पसन लिमिटेड, मुम्बई, में कार्यरत आर्टिस्ट उमेश राव ने मिलकर महाराजा की रचना की थी।
महाराजा की तीन खासियत उसे दुनिया में अलग एवं विशिष्ट पहचान देती है, उसकी विनम्रता में हमेशा बंद रहने वाली आंखें, सिर पर पगड़ी और पैर हमेशा जमीन से उठे हुए। वास्तव में उसने एयर इंडिया के लिए प्रचार में व्यंग्य और वास्तविकता के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड भी जीते हैं।