अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी को ना चाहते हुए भी फिल्मों में करना पड़ा था काम, ये थी वजह

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बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी अपनी दिलकश अदाओं और बेहतरीन अभिनय के दम पर हिंदी सिनेमा की एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में याद की जाती हैं। नन्दा का जन्म 8 जनवरी, 1938 को महाराष्ट्र प्रांत के कोल्हापुर में हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी मगर नंदा कभी फिल्मों में काम करना नहीं चाहती थीं। उन्होंने बहुत कम उम्र में फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। 25 मार्च को अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी की 9वीं डेथ एनिवर्सरी है। इस खास अवसर पर जानिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें…

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फिल्मी परिवार में हुआ था नंदा का जन्म

अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ था। उनके पिता विनायक दामोदर मराठी फिल्मों के सफल अभिनेता और निर्देशक थे, जो अपने दौर में मास्टर विनायक नाम से खासे मशहूर हुआ करते थे। जब नंदा 5 साल की थी तब अपने पिता के कहने पर उनकी एक फिल्म में काम करने के लिए अनमने मन से तैयार हुई थी, मगर फिल्म पूरी होने से पहले ही नंदा के पिता चल बसे। परिवार आर्थिक संकट से घिर गया। पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदार नन्दा के मासूम कंधों पर आ गईं। यही वजह थी कि ना चाहते हुए भी फिल्मों की ओर रुख करना पड़ा।

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बतौर बाल कलाकार शुरू हुआ था फिल्मी करियर

अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी जब महज 10 साल की थी, तब से ही उन्होंने फिल्मों में बतौर बाल कलाकार काम करना शुरू कर दिया था। नन्दा ने अपने सिने सफर की शुरुआत मराठी सिनेमा से कीं। उनकी पहली फिल्म दिनकर पाटिल के निर्देशन में बनी ‘कुलदेवता’ थी, जिसमें बेहतरीन अदायगी के लिए उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पुरस्कृत किया था। बॉलीवुड में उन्होंने बतौर अभिनेत्री वर्ष 1957 में अपने चाचा वी. शांताराम की फिल्म ‘तूफान और दिया’ से कदम रखा था।

करियर में टर्निंग प्वॉइंट साबित हुई ‘धूल का फूल’

वर्ष 1959 में नंदा की फिल्म ‘छोटी बहन’ रिलीज हुईं। इस फिल्म के जरिये नन्दा दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहीं। इसी साल उनकी फिल्म ‘धूल का फूल’ रिलीज हुई, जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट रहीं। यह फिल्म उनके करियर में टर्निंग प्वॉइंट साबित हुईं। बस फिर क्या था इसके बाद अभिनेत्री नंदा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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ये हैं अभिनेत्री नन्दा की बेहतरीन फिल्में

बॉलीवुड अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी ने अपने फिल्मी कॅरियर में ‘काला बाजार ‘, ‘चार दीवारी’, ‘मेंहदी लगी मेरे हाथ’, ‘जब जब फूल खिले’, ‘असलियत’ (1974), ‘जुर्म और सजा’ (1974) और ‘प्रायश्चित’ (1977) जैसी फिल्में कीं। फिल्म इंडस्ट्री में नन्दा को दर्शक मासूमियत और प्यारी सी लड़की की छवि में देखना पसंद करते थे। यही वजह थी कि जब-जब वे लीक से हटी, दर्शकों ने उनकी फिल्मों को नापसंद भी किया।

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ज़िंदगी भर सच्चे प्यार को तरसती रही

अभिनेत्री नंदा कर्नाटकी अपने सिने कॅरियर और अपनी पारिवारिक जिम्मदारियों में इतनी उलझ गई थी कि वे खुद के ऊपर कभी ध्यान ही नहीं दे पाईं। नन्दा शर्मीले स्वभाव की थीं, मगर फिल्मों में काम करने के दौरान वे निर्देशक मनमोहन देसाई को दिल दे बैठीं। दोनों के दिलों में एक-दूसरे के लिए मोहब्बत तो थी, मगर कभी जाहिर नहीं कीं। कुछ समय बाद मनमोहन ने सगाई कर ली और नंदा अकेली रह गईं।

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कुछ समय बाद ही मनमोहन देसाई की पत्नी का निधन हो गया, जिसके बाद मनमोहन ने नंदा के सामने प्यार का इजहार किया और दोनों ने शादी करने का फैसला लिया। वर्ष 1992 में दोनों ने सगाई कर लीं। उस वक्त नंदा दामोदर कर्नाटकी 53 साल की थी। मगर, सगाई के कुछ दिनों बाद ही मनमोहन की एक हादसे में मौत हो गईं। इस तरह वे आजीवन ही अविवाहित रहीं। 25 मार्च, 2014 को अभिनेत्री नन्दा का मुंबई में निधन हो गया।

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