अभिनेता प्रेम नाथ ने फिल्मी पर्दे पर खलनायकी को दिया था नया आयाम

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Prem-Nath-Biography

सत्तर-अस्सी दौर में भारतीय सिनेमा के शीर्ष नायकों में से एक व अभिनेता प्रेम नाथ की आज 97वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उन्हें हिंदी सिनेमा में बहुमुखी प्रतिभा का धनी कहा जाता था। उन्होंने सिने पर्दे पर लगभग हर तरह का किरदार निभाया। मगर, असल पहचान उन्हें फिल्मों में निभाए जाने वाले खलनायक के किरदारों से मिलीं। यही वजह है कि अभिनेता प्रेम नाथ को खलनायकी की दुनिया को नया आयाम देने का क्रेडिट दिया जाता है। अभिनेता का पूरा नाम प्रेमनाथ मल्होत्रा था। वे तीन बार फिल्मफेयर जैसे अवॉर्ड के लिए नामित किए गए थे।

पेशावर में हुआ था प्रेम नाथ का जन्म

अभिनेता प्रेम नाथ का जन्म 21 नवंबर, 1926 में बंटवारे से पहले भारत के पेशावर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। बचपन से एक्टिंग का शौक होने की वजह से प्रेमनाथ ने हीरो बनने के सपने को साकार करने के लिए फिल्मों का रुख किया था। फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें बतौर हीरो नकार दिया गया, लेकिन उन्हें असल पहचान फिल्मों में अपनी नकारात्मक भूमिकाओं के कारण मिलीं। प्रेम आज भी उनकी बेहतरीन फिल्में ‘जॉनी मेरा नाम’ (1970), ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ (1974), ‘बरसात’ (1949) के लिए जाने जाते हैं।

फिल्मी करियर में 250 से ज्यादा फिल्मों में किया काम

हिंदी सिनेमा में अभिनेता प्रेम नाथ ने 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। सिने पर्दे पर उनकी दमदार आवाज में बोले गए संवाद फिल्म में जान डालने का काम करते थे। 3 नवंबर, 1992 को प्रेम नाथ का निधन मुंबई में हो गया था। वे आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं, मगर दर्शकों के बीच हमेशा अपने दमदार किरदारों के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे। अभिनेता प्रेमनाथ की जयंती के इस खास अवसर पर पढ़िए उनके कुछ मशहूर डायलॉग्स…

“मैं रोज कानून बनाता हूं और रोज तोड़ता हूं”-धर्मात्मा

“शेर दिलदार हुआ करते हैं, और कुत्ते वफादार…ना तुम शेर निकले और ना कुत्ते”-कालीचरण

“जवानी अय्याशीका एक खूबसूरत मौका है”-जॉनी मेरा नाम

“कानून,कानून, कानून…कौनसा कानून…मैं अपने लिए खुद कानून हूं।”– धर्मात्मा

“मौत ही एक ऐसी सच्चाई है जो अटल है…जिससे कोई भाग नहीं सकता”-धर्मात्मा

“नास्तिक को आस्तिक बनाना ऊपरवाले का बायें हाथ का खेल है”-नागिन

“तलवार जुल्म करने के लिए भी उठी है और जुल्म रोकने के लिए भी…जो जुल्म रोकने के लिए तलवार को उठाता है वो बड़ा काम करता है”-गोरा और काला

“धर्म रक्षक हूं, नरक लोक शासक हूं, यमराज हूं।”–लोक परलोक

“प्रताप के हाथ इतने लंबे हैं…के तुझे जहन्नुम से भी घसीट लाए”-लोफर

“इस कमीने की हड्डियों का तो मैं सूरमा बनाऊंगा”-लोफर

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