एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक लोकसभा में चुने गए सदस्यों में से लगभग आधे सांसदों पर अपराधित मामलें दर्ज हैं। 2014 के मुकाबले ऐसे सांसदों की संख्या में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
एडीआर द्वारा विश्लेषण किए गए 539 विजयी उम्मीदवारों में से 233 सांसदों यानि 43 प्रतिशत सांसदों पर आपराधिक आरोप हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आपराधिक मामलों के साथ भाजपा के 116 सांसद यानि उसके 39 प्रतिशत उम्मीदवार हैं। उसके बाद 29 सांसद (57 प्रतिशत) कांग्रेस से, 13 (81 प्रतिशत) जदयू से, 10 (43 प्रतिशत) द्रमुक से और टीएमसी से नौ (41 फीसदी) सांसद संसद में बैठेंगे।
2014 में 185 लोकसभा सदस्यों (34 प्रतिशत) पर आपराधिक आरोप थे और 112 सांसदों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले थे। 2009 में 543 लोकसभा सांसदों में से 162 (लगभग 30 प्रतिशत) पर आपराधिक आरोप थे और 14 प्रतिशत पर गंभीर आपराधिक आरोप थे।
सर्वे करने वाली गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि नई लोकसभा में लगभग 29 प्रतिशत मामले बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास या महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित हैं।
इसमें कहा गया है कि 2009 के बाद से घोषित आपराधिक मामलों वाले सांसदों की संख्या में (2019 में) 109 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ग्यारह विजेताओं पर हत्या तक का भी मामला चल रहा है जिसमें भाजपा से पांच, बसपा से दो, कांग्रेस, राकांपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी में से एक, और एक निर्दलीय विजेता शामिल है।
भोपाल के नवनिर्वाचित भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 2008 के मालेगांव विस्फोटों के सिलसिले में आतंकी आरोपों का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी ने जब उन्हें भोपाल से खड़ा किया तो उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। इसके अलावा 29 विजेताओं पर अभद्र भाषा के प्रयोग का आरोप है।
केरल के इडुक्की निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले कांग्रेस के डीन कुरीकोकोस के खिलाफ 204 आपराधिक मामले दर्ज है जिसमें गैर इरादतन हत्या, घर में अत्याचार, डकैती, आपराधिक धमकी शामिल हैं।