मंदिर में चोरी के इल्जाम में 8 साल के दलित बच्चे को नंगा करके गर्म टाइल्स पर बैठाया

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महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से बेहद बुरी खबर आई है। एक दलित समुदाय के आठ वर्षीय लड़के को नंगा करके गर्म टाइल्स पर बिठाया गया जिससे उसके शरीर पर कई जख्म आए।

यह घटना वर्धा क्षेत्र में 15 जून को हुई थी जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। लड़के का वर्धा जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।

क्या हुआ था?

स्थानीय लोगों के अनुसार यह घटना कथित तौर पर तब हुई जब खेलने के लिए बच्चा वर्धा के एक मंदिर में प्रवेश कर गया। मंदिर के अंदर दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अमोल ढोरे द्वारा लड़के को तुरंत रोक दिया गया और उसके साथ फिर क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया।

हालांकि, पुलिस ने दावा किया कि बच्चे को मंदिर में प्रवेश करने के लिए नहीं पीटा गया, बल्कि मंदिर से उसने “चोरी” करने की कोशिश की थी।

लड़के के वहां से निकल जाने के बाद क्या हुआ?

लड़का जब मंदिर से भागने में कामयाब हुआ तो उसने इस घटना के बारे में अपने परिवार को बताया जिसने फिर अरवी पुलिस के पास मामला दर्ज किया। मामला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और हिंसा के लिए भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दर्ज किया गया था।

सामाजिक कार्यकर्ता धनराज वंजारी, जो कानूनी तौर पर बच्चे के परिवार का समर्थन कर रहे हैं उन्होंने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के अतिरिक्त अनुभाग (POCSO) अधिनियम भी पंजीकृत किए गए थे, क्योंकि बच्चे को बिना कपड़ों के रखा गया था।

16 जून को, आरोपी ने गांव से भागने की कोशिश की लेकिन बाद में दिन में पुलिस द्वारा उसे पकड़ लिया गया।

मामला इस वजह से हो जाता है गंभीर-

पुलिस ने समाचार वेबसाइट को बताया कि वर्धा खासकर अरवी पुलिस स्टेशन में अत्याचार के कई मामले दर्ज होते आए हैं लेकिन यह हिंसा का एक बड़ा मामला था।

सामाजिक कार्यकर्ता वंजारी का मानना है कि अगर यह उच्च जाति का लड़का होता तो इसके साथ इस तरह का अत्याचार नहीं हुआ होता।

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